जब शेर ने सिखाई इंसान को मेहनत की महत्ता
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मल्टीमीडिया डेस्क। विंध्याटवी चारों और से हरे-भरे वृक्षों से घिरी हुई थी। निर्मल पानी के झरने सुमधुर संगीत उतपन्न कर रहे थे। इस वन के राजा शेर ने अपना वजीर एक नीतिवान हंस को बनाया हुआ था। हंस, शेर को आसपास की सारी गतिविधियों से अवगत करता रहता था।
उसी वन के पास एक गांव था। गांव में एक ब्राह्मण परिवार गरीबी में कठिनाई से जीवन व्यतीत कर रहा था। उसके मन में आया कि शहर में जाकर कुछ ऐसा काम किया जाए, जिससे घर की दशा में कुछ सुधार हो। ऐसा निश्चय कर वह घर से निकल गया। ब्राह्मण उसी वन के पास पहुंचा, जहां वह शेर रहता था। उसी वन को पार करने के बाद शहर में पहुंचा जा सकता था।