रायपुर । बेरोजगारी देश की बड़ी समस्या है। सरकारें, शासन- प्रशासन, संस्थाएं, संगठन सभी इसके लिए काम कर रही हैं, लेकिन सारे प्रयास नाकाफी हैं। ऐसे में एक सामान्य नौकरी करने वाले रायपुर निवासी देवेंद्र पटेल ने सराहनीय पहल की है।
एक वाट्सएप ग्रुप बनाकर वह उसका उपयोग जॉब प्लेसमेंट के मंच के रूप में कर रहे हैं। खास बात यह कि इस ग्रुप में शामिल युवा एक-दूसरे के लिए नौकरी तलाशते हैं और ग्रुप के जरिए सूचित करते हैं।
सरकारी हो या निजी, हर प्रकार की नौकरियों की जानकारी ग्रुप में लगातार अपडेट होती रहती है। इतना ही नहीं, प्रतियोगी परीक्षाओं से जुड़ी ढेरों जानकारियां भी होती हैं। इस ग्रुप को बने अभी छह महीने ही हुए हैं। इस बीच करीब दो सौ युवाओं को इसके जरिए नौकरी मिल चुकी है।
आज जब हम आए दिन बेरोजगारी के चलते युवाओं द्वारा आत्मघाती कदम उठाने की खबरें पढ़ते व सुनते हैं, ऐसे में यह मामूली आंकड़े भी देवेंद्र की पहल को सलाम करने को कहते हैं। रायपुर के देवेंद्र साधारण परिवार से हैं।
पिता मिलापराम पटेल मजदूरी करके उन्हें किसी तरह पढ़ाया। कला में स्नातक करने के बाद देवेंद्र नौकरी तलाशने लगे, ताकि घर में कुछ मदद कर सकें, लेकिन निराशा ही हाथ लगती रही। इसी दौरान उन्हें एक विभाग में संविदाकर्मी की नौकरी मिल गई। इस कठिन संघर्ष ने देवेंद्र को उनके जैसे और युवाओं के लिए कुछ करने को प्रेरित किया। यहीं से उनके वाट्सएप ग्रुप की नींव डली।
आज उनके ग्रुप में सैकड़ों युवा जुड़े हुए हैं। चैनल सिस्टम के चलते यह ग्रुप तेजी से बढ़ रहा है। देवेंद्र बताते हैं कि इसमें कई विशेषज्ञों को भी जोड़ा गया है, जो लगातार मार्गदर्शन करते रहते हैं। नौकरी से जुड़ी सूचनाएं प्रसारित करते रहते हैं। गृहणियों भी उनके ग्रुप से जुड़ी हैं, जिनके लिए रोजगार के रास्ते में मिल रहे हैं।
इस तरह मिल रही मदद
 वेब पोर्टेल, रोजगार समाचार के ई-पेपर और उसके लिंक वाट्सएप में भेजते हैं, जिसके जरिए सोश्ाल साइट्स से मिलती है जानकारी। य सरकार द्वारा अखबारों में जारी किए गए विज्ञापनों की कतरन और तिथिवार परीक्षाओं के आयोजनों व नतीजों की पूरी जानकारी समय पर उपलब्ध रहती है।
जिला रोजगार में पंजीयन की प्रक्रिया, प्लेसमेंट कैंप आयोजन की जानकारियां, शिक्षा-परीक्षा संबंधी काउंसिलिंग-कार्यशाला आदि हमेशा अपडेट होता रहता है।
 आवश्यक परीक्षाओं में फार्मूले सभी विषयों में दक्ष लोगों द्वारा आदानप्रदान। संबंधित विभागों-मंचों की फोन डायरेक्टरी भी इस ग्रुप में उपलब्ध है।
 खुद के लिए लंबे समय से रोजगार की तलाश करते हुए औरों के दर्द को समझा। अच्छी शिक्षा और मेहनतकश होने के बावजूद मायूस होकर बहुतों को लौटते देखा। यहीं से यह सोच आई कि कुछ किया जाए। बूंद-बूंद से ही घड़ा भरता है। आज मेरे ग्रुप से जुड़ा हर कोई एक-दूसरे की चिंता करता है। यह छोटी उपलब्धि नहीं है।

रायपुर । छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव की जीत ने कांग्रेस में लोकसभा चुनाव के दावेदारों की लंबी लाइन कर दी है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और प्रदेश चुनाव समिति के अध्यक्ष भी हैं, इसलिए उन पर न केवल सूची छोटी कराने की जिम्मेदारी है, बल्कि उन पर अधिक से अधिक सीटों पर पार्टी को जिताने का जिम्मा भी है। पूरा खेल प्रत्याशी चयन पर ही टिका होगा। यह बात उन्हें पता है, इसलिए सूची छोटी करना, बघेल के लिए बड़ी चुनौती है।
हर सीट पर 17 से 20 दावेदार
विधानसभा चुनाव में बम्पर जीत से नेताओं को लग रहा है कि प्रदेश में कांग्रेस की लहर है। चुनाव में टिकट किसे भी दे दिया जाए, वह जीत जाएगा। यही वजह है कि हर लोकसभा सीट से 17 से 20 दावेदारों का नाम सामने आ गया है। दूसरी तरफ, पार्टी के वरिष्ठ नेता सभी 11 लोकसभा सीटों पर जीत का दावा तो कर रहे हैं, लेकिन उन्हें यह भी पता है कि लोकसभा चुनाव की परिस्थितियां विधानसभा चुनाव से अलग होती हैं। छत्तीसगढ़ बनने के बाद यहां हुए तीन लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को हर बार केवल एक-एक सीट से संतुष्ट होना पड़ा है।
संतुष्ट करना बड़ी चुनौती
11 सीटों के लिए केवल एक-एक नाम तय करना बड़ी चुनौती है। नाम फाइन करने के लिए न केवल मंत्रियों, विधायकों, जिलाध्यक्षों और जिला प्रभारियों को संतुष्ट करना होगा, बल्कि बाकी दावेदारों को भी समझाना होगा, ताकि सूची आने के बाद दिक्कत न हो। मुख्यमंत्री के पास सूची छोटी करने के लिए समय भी कम है। प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया ने उनके समेत चुनाव समिति के सदस्यों को सात मार्च को दिल्ली बुलाया है। पुनिया पहले समिति के अध्यक्ष व सदस्यों से स्क्रूटनी वाली सूची मांगेगे। उसके बाद ही वे आगे चर्चा शुरू करेंगे।

रायपुर । झीरम कांड में मारे गए बस्तर टाइगर महेंद्र कर्मा के बेटे आशीष कर्मा को डिप्टी कलेक्टर बनाने पर छत्तीसगढ़ की राजनीति में उबाल आ गया है। पूर्व कलेक्टर और भाजपा नेता ओपी चौधरी ने सोशल मीडिया पर चार सवाल किये हैं। चौधरी ने कहा, मैं महेन्द्र कर्मा का बहुत सम्मान करता हूं। कर्मा के बाद उनके परिवार से विधायक रहे, नगर पंचायत अध्यक्ष हैं, जिला पंचायत में भी प्रतिनिधित्व है, लोकसभा में भी उनके परिवार से चुनाव लड़ा गया। यह सब अपनी जगह है, लेकिन अब उनके एक पुत्र को कांग्रेस सरकार ने सीधा डिप्टी कलेक्टर बना दिया।
कई लोग आरोप लगा रहे हैं कि कर्मा परिवार को लोकसभा की टिकट की दावेदारी से रोकने के लिए कांग्रेस ने तुष्टिकरण का यह कदम उठाया है। चौधरी ने कहा, यदि कर्मा होते तो शायद वो अपने बेटे को काबिलियत के आधार पर कलेक्टर या डिप्टी कलेक्टर बनाना पसंद करते न कि तुष्टिकरण की राजनीति के तहत।
बेहतर होता कि कांग्रेस की सरकार तुष्टिकरण की राजनीति करके लाखों युवाओं के साथ अन्याय करने के बजाय कर्मा के परिवार की आर्थिक सुरक्षा हेतु अनुकंपा का कोई अन्य उपाय करती। चौधरी ने कहा कि इस परिवेश में मेरे मन में कुछ सवाल उठ रहे हैं, जिन्हें सार्वजनिक करना अपना धर्म समझता हूं।
इस बार सीजी पीएससी परीक्षा में डिप्टी कलेक्टर के लिए सामान्य वर्ग का एक, एसटी के लिए दो और एससी-ओबीसी के लिए शून्य पद हैं। डिप्टी कलेक्टर के सिर्फ तीन पद हैं, ऐसे में कांग्रेस सरकार का तुष्टिकरण का कदम छत्तीसगढ़ के युवाओं के साथ अन्याय नहीं है
क्या सरकार अन्याय नहीं कर रही
चौधरी ने पूछा-छत्तीसगढ़ के उन लाखों युवाओं के साथ क्या यह अन्याय नहीं है? जो युवा सालों से प्रदेश के सर्वोच्च प्रशासनिक पद को अपनी योग्यता से प्राप्त करने की कोशिश कर रहे हैं? क्या झीरम कांड के अन्य शहीदों के परिवारों को सरकार के तुष्टिकरण के निर्णय से पीड़ा नही हुई होगी? हजारों जांबाज जवान, नक्सलियों से सीधे लड़ते हुए शहीद हुए हैं। उनके परिवारों को दर्द नहीं हो रहा होगा
बस्तर के सभी दलों के सामान्य जनप्रतिनिधित्व और आम आदिवासी भाई- बहन हर रोज माओवादी हिंसा से प्रभावित हो रहे हैं। दंतेवाड़ा के एजुकेशन सिटी के आस्था गुरुकुल में नक्सल हिंसा से अनाथ हुए सैकड़ों आदिवासी बच्चे अपने बेहतर भविष्य के लिये पढ़ाई कर रहे हैं। क्या इन सब लोगों के साथ कांग्रेस सरकार का यह निर्णय अन्याय नहीं है?
शहीद कर्मा परिवार को सरकार ने दिया सम्मान, सवाल न उठाए विपक्ष
पंचायत व ग्रामीण विकास मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा है कि शहीद महेंद्र कर्मा के सुपुत्र आशीष कर्मा को डिप्टी कलेक्टर का पद देकर सरकार ने कर्मा परिवार को सम्मान देने की कोशिश की है। विपक्ष को इस पर आपत्ति नहीं होनी चाहिए। अंबिकापुर में पत्रकारों से चर्चा करते हुए सिंहदेव ने कहा कि जो विपक्ष मीसा बंदियों को पेंशन सुविधा का लाभ देने का निर्णय ले सकती है उसे कम से कम शहीद के परिवार को सम्मान देने लिए गए निर्णय पर आपत्ति नहीं जताई जानी चाहिए।

रायपुर । पुलिस विभाग के एमटी पूल शाखा में समीर और खालसा ट्रैवल्स द्वारा गाड़ी लगाकर लाखों के फर्जीवाड़े में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। ट्रैवल्स संचालक बगैर एमटीओ के परमिशन खुद रजिस्टर खरीदे थे और उस पर गाड़ी का  मीटर दर्ज करते थे।
यही नहीं, रजिस्टर पर एमटीओ की फर्जी मोहर और हस्ताक्षर भी करके भुगतान करा लेते थे। ट्रैवल्स संचालकों द्वारा दिए गए दस्तावेज की जांच में ऐसी कई खामियां मिलीं। दरअसल, पुलिस विभाग द्वारा निजी ट्रैवल्स की गाड़ियों को अधिग्रहित करने के बाद एमटीओ द्वारा लागबुक जारी किया जाता है, जिस पर गाड़ी की मीटर रीडिंग, गाड़ी के रवाना और वापसी का समय, विजिट का हस्ताक्षर समेत अन्य डिटेल दर्ज की जाती है। इस बुक में एमटीओ का हस्ताक्षर होता है, लेकिन दोनों ने इसका पालन ही नहीं किया।
इनके खिलाफ दर्ज केस
पुलिस के मुताबिक आरोपी जहीर खान निवासी  हार्डवेयर लाइंस सुपेला भिलाई, मिर्ता इब्राहिम बेग निवासी हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी चरोदा भिलाई, समीरचंद सुमन निवासी सी 30 गायत्रीनगर शंकरनगर समीर ट्रैवल्स रायपुर और जसविंदर सिंह गुरुदत्ता निवासी श्यामनगर तेलीबांधा, इंद्रजीत सिंह निवासी सेक्टर 3 भिलाई के खिलाफ धोखाधड़ी समेत 8 धराओं में केस दर्ज किया गया है।
मीटर रीडिंग बदली गई है
दो ट्रैवल्स द्वारा 1 मई 2018 से 27 फरवरी के बीच मीटर रीडिंग बदली गई है। साथ ही अपना खुद का रजिस्टर खरीदकर पुलिस अफसर के फर्जी हस्ताक्षर कर भुगतान लिया गया है।
- एमएस चंद्रा, डीएसपी, रिजर्व पुलिस लाइंस
7 लाख रुपए की ठगी
गौरतलब है, पुलिस मुख्यालय की एमटी पूल शाखा द्वारा समीर ट्रैवल्स और खालसा ट्रैवल्स की गाड़ियां अधिग्रहित की गई थीं। एक मई 2018 से दोनों ट्रैवल्स की गाड़ियों का संचालन शुरू हुआ था। इस दौरान आरोपी संचालक और चालक मिलीभगत कर मीटर बढ़ाकर और अफसर के फर्जी दस्तखत रक भुगतान कराते थे। 1 मई 2018 से 27 फरवरी 2019 के बीच करीब 7 लाख रुपए का फर्जी तरीके से भुगतान ​लिया था। आॅडिट करने पर फर्जीवाड़े का खेल फूटा था।

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