छत्तीसगढ़ में अफसरों ने चेहरा चमकाने में किया DMF का इस्तेमाल, अब होगी जांच
- रायपुर
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रायपुर। छत्तीसगढ़ में जिला खनिज संस्थान न्यास (DMF) के फंड का इस्तेमाल अफसरों ने खुद का चेहरा चमकाने और ब्रांडिंग के लिए किया है। यह राशि एक तरह से खनन प्रभावित आबादी को हुई क्षति की भरपाई के लिए थी, लेकिन इसका उपयोग काफी गैर जिम्मेदारी से किया गया।
कई जिलों में करोड़ों के निर्माण कार्य की अनुमति दे दी गई। यह कार्य अपने चहेते ठेकेदारों को दिया गया। अब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने डीएमएफ फंड के इस्तेमाल में हुई अनियमितता की जांच का आदेश दिया है।
गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्यमंत्री ने कहा कि खनिज धारित क्षेत्रों में खनन से प्रभावित होने वाले पर्यावरण तथा जनता के हितों की रक्षा के लिए डीएमएफ का गठन किया गया था। इस निधि में नवम्बर 2018 तक 3 हजार 336 करोड़ स्र्पये का अंशदान प्राप्त हुआ। अब तक कलेक्टरों ने 2 हजार 400 करोड़ स्र्पये की राशि खर्च है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने इस पूरे मामले की समीक्षा का निर्णय लिया है। अनावश्यक निर्माण कार्य पर रोक लगा दी है, ताकि जनता का पैसा जनहित में इस्तेमाल किया जा सके। मुख्यमंत्री को शिकातय मिली थी कि कलेक्टरों ने डीएमएफ का इस्तेमाल प्रभावितों के हितों को छोड़कर शहरी क्षेत्र में कर दिया।
सेंटर फार साइंस एंड इनवायरमेंट (सीएसई) की रिपोर्ट के अनुसार, कोरबा में डीएमएफ का 46 फीसदी शहरी क्षेत्र में इस्तेमाल किया गया। इसमें मल्टी लेवल पार्किंग, कन्वेन्शन सेंटर और शहरी स्वच्छता संरचना का निर्माझा किया गया। जबकि जिले में 75 फीसदी आबादी ग्रामीण क्षेत्र में रहती है। बिलासपुर में डीएमएफ से हवाई अड्डे का निर्माण किया गया।
डीएमएफ में ग्राम सभा का प्रतिनिधित्व नहीं
सीएसई की रिपोर्ट के अनुसार, डीएमएफ के इस्तेमाल के लिए बनी कमेटी में ग्राम सभा के सदस्यों का कोई प्रतिनिधित्व नहीं है। इसमें जनप्रतिनिधियों की जगह सरकारी अधिकारियों का प्रभुत्व है। लोगों की भागीदारी के रूप में राजनीतिक सदस्यों जैसे सांसदों, विधायकों और पंचायती राज संस्थान के प्रतिनिधियों को भी शामिल किया जाना चाहिए।
यह थी डीएमएफ की मंशा
डीएमएफ बनाने के पीछे यह मंशा थी कि प्लानिंग और निवेश व्यवस्थित और व्यापाक रूप से किया जाना चाहिए। प्लानिंग इस तरह से हो कि लघु और दीर्घकालिक निवेश के माध्यम से स्पष्ट परिणाम आए। सामाजिक, आर्थिक और मानव विकास स्थितियों में गुणात्मक सुधार सुनिश्चित करें।
यह कमियां आईं पकड़ में
-प्रदेश के किसी भी जिले में डीएमएफ के लाभार्थियों की पहचान नहीं की गई।
-जिलों में अपने-अपने तरीके से क्षेत्र और गांव की पहचान करके निर्माण हुआ।
-पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण नियंत्रण पर सबसे कम राशि खर्च की गई