panchayattantra24.com-जगदलपुर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को मन की बात में बस्तर ओलिंपिक खेल प्रतियागिता की प्रशंसा करते हुए उन्होंने इसी जर्त पर देश के अन्य राज्यों में खेल प्रतियागिता शुरू करने की भी अपील की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि जहां नक्सल हिंसा रही, वहां अब नई क्रांति जन्म ले रही है। उन्हाेने बस्तर ओलिंपिक में शामिल खिलाड़ियों के संघर्ष की कहानी भी बताई। उन्हाेने बताया कि छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बस्तर संभाग में बस्तर ओलिंपिक की शुरुआत हुई, इसकी खास बात ये रही कि शहरों और गांवों के खिलाड़ियों के साथ ही आत्मसमर्पित नक्सलियों ने भी हिस्सा लिया। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा कि बस्तर ओलिंपिक के सफल आयोजन पर आपके प्रोत्साहन के लिए सभी प्रदेशवासियों की ओर से आभार। आपके कुशल मार्गदर्शन में हमारी सरकार बस्तर में बदलाव और यहां के लोगों के जीवन में खुशहाली लान ेके लिए संकल्पित हैं।
प्रधानमंत्री ने सुकमा जिले की पायल कवासी का जिक्र करते हुए उनकी बहादुरी की तारीफ करते हुए कहा कि जैवलिन थ्रो में स्वर्ण पदक जीतने वाली पायल जी कहती हैं कि अनुशासन और कड़ी मेहनत से कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है। वहीं पुनेम ने व्हीलचेयर पर दौड़कर मेडल जीता है, इनकी भी पीएम मोदी ने तारीफ करते हुए कहा कि सुकमा के दोरनापाल के पुनेम सन्ना की कहानी तो नए भारत की प्रेरक कथा है। एक समय नक्सली हिंसा का शिकार हुए पुनेम आज व्हीलचेयर पर दौड़कर मेडल जीत रहे हैं। उनका साहस और हौसला हर किसी के लिए प्रेरणा है। प्रधानमंत्री ने कारी कश्यप के बारे में बताते हुए कहा कि एक छोटे से गांव से आने वाली कारी जी ने तीरंदाजी में रजत पदक जीता है। वे कहती हैं कि बस्तर ओलिंपिक ने हमें सिर्फ खेल का मैदान ही नहीं, जीवन में आगे बढ़ने का अवसर दिया है। उन्हाेने कहा कि मेरे लिए यह बहुत ही खुशी की बात है कि बस्तर ओलिंपिक का सपना साकार हुआ है। यह उस क्षेत्र में हुआ जो कभी नक्सल हिंसा का गवाह रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि बस्तर ओलिंपिक में 7 जिलों के 1 लाख 65 हजार खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया है। जिसमें एथलेटिक्स, तीरंदाजी, बैडमिंटन, फुटबॉल, हॉकी, कराटे, कबड्डी, खो-खो और वॉलीबॉल हर खेल में हमारे युवाओं ने अपनी प्रतिभा का परचम लहराया है। यह सिर्फ एक आंकड़ा नहीं है, यह हमारे युवाओं के संकल्प की गौरव-गाथा है। कोडागांव के तीरंदाज रंजू सोरी को 'बस्तर यूथ आइकन' चुना गया है। उनका मानना है कि बस्तर ओलिंपिक दूर-दराज के युवाओं को राष्ट्रीय मंच तक पहुंचाने का अवसर दे रहा है।
जैवलिन थ्रो में स्वर्ण पदक जीतने वाली पायल कवासी काे इसकी जानकारी नहीं थी, कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात में उसका जिक्र किया उस दाैरान वह अपने घर के काम में व्यस्त थी, स्थानिय लाेगाें ने पायल को बताया उसके बाद मोबाइल में उन्हे प्रधानमंत्री की मन की बात को सुनाया तो वह खुश हो गईं। पायल कवासी सुकमा जिला मुख्यालय से 20 किमी. दूर स्थित राजामुड़ा पंचायत का आश्रित गांव बोरगापारा है, जहां एक कमरे वाले कच्चे घर में अपनी मां के साथ पायल कवासी रहती हैं। उनके तीन भाई हैं, जिनकी शादी हो गई है, वह अलग रहते हैं। पायल कवासी ने दंतेवाड़ा जिले के कटेकल्याण से 12वीं तक पढ़ाई की है। उसके बाद पढ़ाई छोड़कर गांव में रहकर बुजुर्ग मां की सेवा कर रही हैं। इस संवादता से पायल ने चर्चा में बताया कि मेरेजैसे कई युवा है, जिनके अंदर भी प्रतिभा तो है लेकिन उन्हे सही मंच नहीं मिल रहा है। पायल ने बताया कि गांव में न तो खेल का मैदान है और न ही कोच की सुविधा है। उनको कबड्डी खेलने का बहुत शौक था, वह खेलती भी थी, लेकिन पढ़ाई छोड़ने के बाद घर के कामों में व्यस्त हो गई। कुछ दिन पहले गांव के सचिव फार्म भर रहे थे, किसी के कहने पर मैंने भी बस्तर ओलंपिक का फार्म भर दिया। उसके बाद पंचायत में भाला फैक में पहला स्थान प्राप्त किया। उसके बाद ब्लॉक, जिला फिर संभाग स्तर में मैंने प्रथम स्थान प्राप्त किया। वहां मुझे गोल्ड मैडल मिला और कबड्डी में भी भाग लिया, उसमें भी मुझे मैडल प्राप्त हुआ है। अब वह घर पर ही मां के साथ रहती है। पायल से पूछा की आज देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने मन की बात में उनके नाम का जिक्र किया है। उनकी बहादुरी की भी तारीफ की तो उन्होंने देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी काे धन्यवाद ज्ञापित किया है।