डॉ. रमन सिंह के दामाद को पुलिस का नोटिस, गिरफ्तारी तय
- रायपुर
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रायपुर । पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के दामाद एवं डीकेएस सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल के पूर्व अधीक्षक डॉ. पुनीत गुप्ता को पुलिस ने नोटिस जारी कर तलब किया है। उन पर डीकेएस में उपकरणों की खरीदी, स्टाफ और अन्य पदों पर भर्तियों से लेकर कई अनियमितताओं के मामले में थाना गोलबाजार में अपराध दर्ज है। पुलिस ने इससे पहले डॉ. गुप्ता के करीबी डॉक्टर, स्टाफ के बयान लिए और सोमवार को शासन के आदेश पर ही एफआइआर दर्ज करवाने वाले वर्तमान अधीक्षक डॉ. केके सहारे का बयान लिया गया। इसके बाद अब डॉ. गुप्ता को पक्ष रखने के लिए नोटिस जारी किया गया है।
अगर वे नहीं आते हैं तो जांच टीम विवेचना को पूरी कर पुलिस अधीक्षक आरिफ शेख को रिपोर्ट सौंप देगी। स्पष्ट कर दें कि डॉ. गुप्ता को गिरफ्तार भी किया जा सकता है। हालांकि वे कहां हैं, इसके बारे में किसी को कोई जानकारी नहीं है। उनके छत्तीसगढ़ से बाहर होने की चर्चा है।
मिली जानकारी के मुताबिक पुलिस ने अब तक की जांच में भारी गड़बड़ियां पाई हैं। करोड़ों के वारे-न्यारे हुए हैं। उपकरणों की खरीदी में नियमों की जमकर अनदेखी की गई है। यहां यह भी बता दें कि पुलिस ने सोमवार को जो नोटिस डॉ. गुप्ता के घर आरक्षक के जरिए भेजा, उसे किसी ने रिसीव नहीं किया।
इन पर भी आएगी जांच की आंच
तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री, तत्कालीन स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव, तत्कालीन चिकित्सा शिक्षा संचालक, तत्कालीन सीजीएमएससी के डायरेक्टर, डीकेएस की वित्त शाखा के तत्कालीन प्रभारी अधिकारी पर भी जांच की आंच आएगी।
अब तक किसी भी जांच में डॉ. गुप्ता ने नहीं किया सहयोग
पहला नोटिस- डॉ. गुप्ता को अधीक्षक पद से हटाए जाने के बाद उनकी पदस्थापना पं. जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में की गई। वहां जॉइनिंग के बाद उन्होंने इस्तीफा आवक-जावक शाखा में देकर, 1.50 लाख रुपये शासन के खाते में एक माह का वेतन जमा कर चले गए। उन्होंने नो-ड्यूज नहीं दिया। इस पर डीन डॉ. आभा सिंह ने नोटिस दिया, जिसे रिसीव नहीं किया गया। उनका इस्तीफा आज भी स्वीकृत नहीं है।
दूसरा नोटिस- राज्य स्वास्थ्य विभाग द्वारा गठित तीन सदस्यीय जांच कमेटी ने स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव के आदेश डॉ. गुप्ता को नोटिस जारी कर कहा था कि वे अपना पक्ष रखें। मगर वे उपस्थित नहीं हुए।
तीसरा नोटिस- अब पुलिस ने डॉ. गुप्ता को तलब किया है। डॉ. गुप्ता पर आरोप हैं कि उन्होंने डीकेएस में स्टाफ की भर्ती में मनमानी की, उपकरणों की खरीदी जरूरत से अधिक की और सीधे फर्मों से संपर्क करके की, सारी व्यवस्थाओं को आउटसोर्स किया, निजी कंपनियों को लाभ पहुंचा।
पुलिस की जांच में मददगार साबित होगा महालेखाकार ऑडिट
महालेखाकार का ऑडिट बीते सात दिनों से जारी है। तीन अफसर हर एक फाइल को बारिकी से देख रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक इन्हें भी अनियमितताएं मिली हैं। यह ऑडिट तब तक चलेगा जब तक कि अफसर हर एक फाइल का परीक्षण नहीं कर लेते हैं। यह रिपोर्ट पुलिस की जांच में मददगार साबित होगी, क्योंकि यह टेक्नीकल रिपोर्ट है।
पुलिस हर किसी को अपना पक्ष रखने का अवसर देती है, व्यक्ति आए तो ठीक नहीं आए तो ठीक। नहीं आने पर विवेचना में जो भी पाया जाएगा,उसके आधार पर कार्रवाई होगी। (क्या डॉ. गुप्ता गिरफ्तार हो सकते हैं, बोले...) डेफिनेटली। - नसर सिद्दिकी, सीएसपी आजाद चौक (इनके नेतृत्व में जारी है पुलिस की जांच)