स्वामित्व योजना: 5 साल का सफर
प्रधानमंत्री ने इस दौरान बताया कि 5 साल पहले शुरू हुई स्वामित्व योजना का उद्देश्य गांवों के लोगों को उनकी जमीन और संपत्तियों का कानूनी प्रमाण देना है। यह योजना न केवल ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दे रही है बल्कि संपत्ति विवादों को कम करने में भी मददगार साबित हो रही है।
पिछले 5 सालों में करीब डेढ़ करोड़ लोगों को स्वामित्व कार्ड दिए जा चुके हैं, और इस कार्यक्रम के तहत शनिवार को 65 लाख परिवारों को ये लाभ प्रदान किया गया।
230 जिलों को मिला लाभ
इस योजना के तहत 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 230 जिलों के 50,000 से ज्यादा गांवों को शामिल किया गया। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह कार्यक्रम ग्रामीण नागरिकों को उनकी संपत्ति पर कानूनी अधिकार सुनिश्चित करता है, जिससे बैंकों से कर्ज लेना और संपत्ति विवादों का समाधान करना आसान हो जाता है।
पीएम मोदी का संदेश
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने इसे ग्रामीण भारत के लिए ऐतिहासिक दिन करार दिया। उन्होंने कहा, “स्वामित्व कार्ड न केवल ग्रामीण नागरिकों को सशक्त बनाते हैं बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर बनने की दिशा में भी प्रेरित करते हैं। अब गांवों के लोग अपनी संपत्ति के आधार पर वित्तीय स्वतंत्रता प्राप्त कर सकते हैं।”
क्या है स्वामित्व योजना?
स्वामित्व योजना का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में जमीन का सर्वेक्षण कर गांववासियों को उनके मकानों और जमीन का डिजिटल रिकॉर्ड प्रदान करना है। इस योजना के तहत ड्रोन तकनीक का उपयोग करते हुए गांवों में भूमि का सर्वेक्षण किया जाता है।
- यह योजना संपत्ति विवादों को कम करती है।
- लोगों को बैंक लोन लेने में मदद करती है।
- ग्रामीण संपत्तियों को कानूनी मान्यता देती है।
आंकड़ों की झलक:
- 65 लाख स्वामित्व कार्ड शनिवार को वितरित किए गए।
- 5 वर्षों में डेढ़ करोड़ कार्ड वितरित किए जा चुके हैं।
- योजना में 230 जिलों के 50,000 से ज्यादा गांव शामिल।
- इस कार्यक्रम से जुड़े 12 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश।
प्रधानमंत्री ने इस योजना को ग्रामीण भारत के विकास में मील का पत्थर बताते हुए कहा कि यह कदम "सशक्त गांव, सशक्त भारत" के निर्माण में सहायक सिद्ध होगा।