पंचायतों में शक्ति केंद्र बनाने के साथ भाजपा ने शुरू की भावी प्रत्याशियों की खोज
- रायपुर
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रायपुर । छत्तीगसढ़ में विधानसभा चुनाव में हार के बाद भाजपा अब जमीन स्तर पर संगठन में कसावट की तैयारी में उतर गई है। नगरीय निकाय चुनाव और पंचायत चुनाव को देखते हुए संगठन ने शक्ति केंद्र बनाने शुरू किए हैं। बताया जा रहा है कि इसमें पंचायत चुनाव से लेकर नगरीय निकाय के उम्मीदवारों की भी खोज होगी। प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव नवंबर और जनवरी में पंचायत के चुनाव होने हैं। ऐसे में पार्टी ने शक्ति केंद्र को मजबूत करने के बहाने नये सिरे से संगठन को एक्टिव करने का सिलसिला शुरू कर दिया है।
लोकसभा चुनाव में पार्टी ने सभी सांसदों का टिकट काटकर नये चेहरों को मैदान में उतारा है। 23 मई को आने वाले परिणाम में यह फार्मूला सफल हो जाता है तो पार्टी नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव में भी नए और फ्रेश चेहरे पर दांव लगा सकती है। भाजपा के उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो विधानसभा चुनाव में पार्टी का ग्रामीण वोटबैंक पूरी तरह से खिसक गया।
एक दर्जन विधानसभा में पार्टी उम्मीदवारों की 40 हजार से ज्यादा वोट से हार हुई। इसमें अधिकांश विधानसभा ग्रामीण क्षेत्र की हैं और जातिगत समीकरण के आधार पर नुकसान उठाना पड़ा। पार्टी के आंतरिक आंकलन में सामने आया कि अगर इन सीटों पर नये चेहरों को मौका दिया गया होता तो परिणाम इतने बुरे नहीं आते। अब पार्टी ने 19 हजार पंचायतों में शक्ति केंद्र बनाने की कवायद शुरू की है।
गैरदलीय होता है प्रदेश में पंचायत चुनाव
प्रदेश में पंचायत चुनाव गैरदलीय आधार पर होता है। ऐसे में पार्टी ने पंचायत के कद्दावर नेताओं को एक बार फिर पंचायत स्तर पर संगठन को सक्रिय करने की जिम्मेदारी सौंपी है। पार्टी सूत्रों की मानें तो दिग्गज नेता भले ही अलग-अलग प्रदेश की लोकसभा सीटों पर प्रचार में जुटे हैं, लेकिन प्रदेश संगठन अब त्रिस्तरीय पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव में भिड़ गया है।
पांच बूथ को मिलकार बनता है शक्ति केंद्र
भाजपा संगठन में पांच बूथ को मिलाकर शक्ति केंद्र बनाया जाता है। प्रदेश में करीब 24 हजार बूथ है। भाजपा के प्रदेश में 488 मंडल हैं। ऐसे में बूथ और मंडल के बीच कार्यकर्ताओं को सक्रिय करने में शक्ति केंद्र की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह भी श्ाक्ति केंद्र को महत्वपूर्ण इकाइ मानते हैं। यही कारण है कि वे अपनी हर सभा में शक्ति केंद्र प्रभारियों से संवाद करते हैं और उनको चुनावी टिप्स देते हैं।