हर काम में मिलेगी सफलता, ज्येष्ठ पूर्णिमा पर विधि विधान से इस मुहूर्त में करें पूजा…
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रायपुर । हिंदू धर्म में पूर्णिमा और अमावस्या को विशेष तिथि माना गया है. इस बार पूर्णिमा सोमवार के दिन पड़ रही है. इसके साथ ही वट सावित्री का व्रत भी रखा जाएगा. ज्योतिषाचार्यो के अनुसार ज्येष्ठ पूर्णिमा का महत्व काफी है. ज्योतिष में अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में सूर्य गलत भाव में है उसके मान-सम्मान में गिरावट आती है। जबकि इसके विपरीत सूर्य की शुभ स्थिति में यश बढ़ता है. सूर्य का शुभ फल प्राप्त करने के लिए पूर्णिमा पर सूर्य की विशेष पूजा करनी चाहिए ।
ज्येष्ठ पूर्णिमा पूजा विधि…
ज्येष्ठ पूर्णिमा को वट पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. इसलिए इस दिन वट सावित्री व्रत की तरह ही पूजा की जाती है और स्त्रियां अपने सुहाग के लिए व्रत उपवास भी रखती हैं|
ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन स्नान करें और सजधजकर तैयार हो जाएं ।
फूल माला, अगरबत्ती, दीपक, सिंदूर, चावल, अनाज समेत अन्य पूजन सामग्री को एक थाली में रख लें और लाल कपड़े से ढंक लें ।
वट वृक्ष के नीचे जाएं और देवी मां की पूजा करें ।
अपने सुहाग की लंबी उम्र की कामना करहते हुए देवी मां की कथा पढ़ें|
ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन पूजा कर व्रत की कामना करें ।
घर आकर अपने पति और बुजुर्गों का आशीर्वाद लें ।
सभी को मिठाई, फल या गुड़ प्रसाद के रूप में बांटें ।
ज्येष्ठ पूर्णिमा पर शुभ मुहूर्त…
ज्येष्ठ पूर्णिमा हर साल हिंदू मास के ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है. पंचांग के अनुसार 16 जून को दोपहर 2 बजे तक चतुर्दशी की तिथि रहेगी इसके बाद पूर्णिमा की तिथि शुरू होगी.संध्या काल से लेकर रात 8 बजकर 25 मिनट तक शुभ मुहूर्त रहेगा, इस समय में आप देवी मां की आराधना करें तो अवश्य लाभ होगा. वहीं महिलाएं 17 जून को सुबह भी व्रत रखकर भी वट वृक्ष की पूजा कर सकती हैं. 17 जून दोपहर तक पूर्णिमा की तिथि रहेगी ।