श्रीनाथ ने कुछ इस तरह से अनिल कुंबले की मदद की थी, तब जाकर कुबंले ने झटके थे 10 विकेट, आज भी हैं वो उनके शुक्रगुजार
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पंचायत तंत्र-स्पोर्ट्स डेस्क- अनिल कुंबले टीम इंडिया के पूर्व स्टार खिलाड़ी, पूर्व कप्तान, पूर्व हेड कोच और पूर्व दिग्गज फिरकी गेंदबाज, अनिल कुंबले एक ऐसे क्रिकेटर जिन्हें क्रिकेट की बहुत ज्यादा समझ है, और उन्होंने उस दौर में अपनी फिरकी गेंदबाजी का लोहा मनवाया जिस दौर में रिकी पोंटिंग, इंजमाम उल हक सरीखे धाकड़ बल्लेबाज, हुआ करते थे, जो फिरकी गेंदबाजों को भी खेलने में महारत रखते थे।
अनिल कुंबले की फिरकी गेंदबाजी की दुनिया कायल थी, हरभजन और कुंबले की जोड़ी को आज भी याद किया जाता है, दोनों ही फिरकी गेंदबाजों की जोड़ी ने टीम इंडिया को कई मैच में जीत दिलवाई, तो वहीं अनिल कुंबले ने तो एक टेस्ट मैच की एक ही पारी में 10 विकेट लेकर इतिहास बना दिया था जो आज भी याद किया जाता है जिसे अनिल कुंबले भी अपने क्रिकेट करियर का स्वर्णिम दिन मानते हैं।
कोटला में किया था कमाल
अनिल कुंबले ने पाकिस्तान के खिलाफ टेस्ट मैच में दिल्ली के फिरोजशाह कोटला मैदान में ये कमाल किया था साल 1999 को पाकिस्तान के खिलाफ सीरीज के दूसरे टेस्ट मैच की दूसरी पारी में अनिल कुंबले ने पाकिस्तान के 10 बल्लेबाजों को अकेले ही पवेलियन वापस भेज दिया था। वर्ल्ड क्रिकेट में ऐसा करने वाले अनिल कुबंले दूसरे गेंदबाज बने थे, उनसे पहले ये एचीवमेंट इंग्लैंड के जिम लेकर ने हासिल किया था।
अभी हाल ही में अनिल कुंबले ने जिम्बाब्वे के एक पूर्व तेज गेंदबाज से सोशल मीडिया में बात की जिसमें उन्होंने अपने इस समय को याद किया, और उस वाकये का भी पूरा जिक्र किया, कुंबले ने कहा कि ये मेरे लिए काफी खास था, मेरे लिए तो ये ऐसा है जैसे ये सब कल ही हुआ हो, दो टेस्ट मैच की ये वो सीरीज थी जो भारत और पाकिस्तान लंबे समय बाद खेल रहे थे, पहला टेस्ट मैच चेन्नई में खेला गया था, जिसे हम 12 रन से हार गए थे, कोटला में जाते समय हमें पता था कि हमें जीतना होगा, उस दिन पिच कैसा व्यवहार कर रही थी उसका जिक्र करते हुए भी कुंबले कहते हैं कि जब विकेट का व्यवहार दोहरा होता है, उसमें असीमित उछाल होता है तो मैं ज्यादा प्रभावी होता हूं, अगर गेंद ज्यादा स्पिन भी न करे तो ये ज्यादा मायने नहीं रखता है, क्योंकि मैं असीमित उछाल का फायदा उठा सकता हूं, कुंबले ने इस रहस्य से भी पर्दा उठाया कि कैसे जवागल श्रीनाथ ने उनकी मदद 10 विकेट लेने में की थी।
अनिल कुंबले इसका जिक्र करते हुए कहते हैं कि लंच तक पाकिस्तान को अच्छी शुरुआत मिल चुकी थी, मुझे पता था कि ये एक विकेट की बात है लंच के बाद मैंने छोर बदला और फिर मुझे एक विकेट मिला, दूसरा विकेट मिला, और फिर मिलते चला गया विकेट की झड़ी लग गई। मैं लंच फिर टी ब्रेक तक गेंदबाजी करते चला गया, मैं थक चुका था, लेकिन मुझे पता था कि मेरे पास अपने प्रदर्शन को बेहतर करने का मौका है, क्योंकि मैं 6 पर 6 था, लंच के बाद मुझे 7,8,9 विकेट मिल गए, मैंने अपना ओवर खत्म किया, और श्रीनाथ आए, शायद इससे मुश्किल स्थिति में मैंने कभी गेंदबाजी नहीं की होगी,
अनिल कुंबले आगे कहते हैं कि श्रीनाथ को सब कुछ भूलना पड़ा था और बाहर गेंदबाजी करनी पड़ी, लेकिन मैंने उनसे कुछ नहीं कहा था, मैंने सोचा वसीम अकरम को एक रन दे देते हैं, मैंने सोचा मुझे एक ओवर में विकेट लेना होगा, क्योंकि एक और ओवर मांगना अच्छा नहीं लगता, मेरी किस्मत में शायद यही लिखा था, पाकिस्तान के खिलाफ सीरीज में एक मैच से पीछे रहना फिर ये सब होना विशेष था।