उपभोक्ता फोरम का बड़ा फैसला: एमआरपी में दी गई छूट पर जीएसटी वसूलना गलत, उपभोक्ता को वापस लौटानी होगी कर राशि…
- बिलासपुर
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पंचायत तंत्र- बिलासपुर। कपड़ों पर अंकित एमआरपी पर स्कीम के अनुसार छूट राशि घटाने के बाद इसमें टैक्स की राशि जोड़कर उपभोक्ता से वसूलने को जिला उपभोक्ता फोरम ने विधिविरुद्ध माना है. फोरम ने प्रतिवादियों को 45 दिन के भीतर अतिरिक्त वसूली गई जीएसटी की रकम देने के साथ आवेदक को मानसिक क्षति के 8000 और परिवाद व्यय 2000 रुपए देने का आदेश दिया है ।
मिली जानकारी के अनुसार, परिवादी राजेश मंगल ने लिंक रोड स्थित ट्रैफिक जाम शॉप से बीईंग ह्यूमेन तथा रामा मैग्नेटो माल स्थित पेंटालून शॉप से कपड़ों की खरीदारी की थी. इसमें कपड़ों के खुदरा मूल्य पर छूट का लाभ बताते हुए खरीदारी के समय जीएसटी जोड़कर अतिरिक्त राशि ली थी. इस पर परिवादी राजेश मंगल ने उपभोक्ता फोरम में आवेदन देते हुए उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 12 के अंतर्गत शॉप के मुम्बई स्थित मुख्य संचालक द सलमान खान फाउंडेशन और मंधाना रिटेल बेन्चर्स लिमिटेड तथा पेंटालून शॉप के मामले में आदित्य बिड़ला फाउंडेशन एंड रिटेल लिमिटेड, मुम्बई को प्रतिवादी बनाया था ।
उपभोक्ता फोरम के समक्ष दोनों मामलों में उभय पक्षों के अधिवक्ताओं को सुनने के बाद फोरम अध्यक्ष उत्तरा कुमार कश्यप और सदस्य रीता बरसैंया ने पाया कि प्रतिवादियों ने एमआरपी पर स्कीम के अनुसार छूट राशि घटाकर इस राशि में टैक्स की राशि जोड़कर उपभोक्ता से प्राप्त की है, जो विधि के अनुसार अनुचित है. उपभोक्ता फोरम ने प्रतिवादियों को निर्देशित करते हुए यह आदेश पारित किया है कि दोनों मामलों में अलग-अलग, प्रतिवादीगण आदेश तिथि के 45 दिन की अवधि के भीतर अतिरिक्त रूप से वसूली गई जीएसटी की रकम आवेदक को अदा करेंगे तथा आवेदक को मानसिक क्षति और परिवाद व्यय भी प्रदान करेंगे ।
समझिए कर चोरी के गणित तो…
प्रकरण में उपभोक्ता फोरम में परिवाद दाखिल करने वाले सीए राजेश मंगल ने लल्लूराम डॉट कॉम से चर्चा में बताया कि वस्तु क्रय करने के साथ हम कर को छोटी रकम मानकर अनदेखा कर देते हैं, इसका दुकानदार फायदा उठाते हैं. उन्होंने बताया कि दुकानदात अगर 2000 रुपए अधिकमत खुदरा मूल्य वाली वस्तु में 50 प्रतिशत की छूट दे रहा है तो उसे मय कर 1000 रुपए लेना चाहिए, लेकिन दुकानदार इस 1000 रुपए में कर को जोड़कर उपभोक्ता से रकम की वसूली करते हैं, जो गलत है, जिसके लिए उपभोक्ता फोरम में दाखिल परिवाद में न्याय मिला है ।