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हिंसक होते-होते बचा किसान आंदोलन: अश्रुगैस से 6 घायल, किसानों ने प्रशासन को 24 घंटे का अल्टीमेटम
panchayattantra24.- हरियाणा और पंजाब के किसानों ने अपनी लंबित मांगों को लेकर आज प्रदर्शन किया, जो प्रशासन और किसानों के बीच तनावपूर्ण स्थिति में तब्दील हो गया। विरोध स्थल पर पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच टकराव हुआ, जिसमें पुलिस ने अश्रुगैस के गोले छोड़े। इस घटना में कम से कम छह लोग घायल हो गए।
घटना का क्रम
सुबह के समय बड़ी संख्या में किसान ट्रैक्टर और वाहनों के साथ बॉर्डर पर जुटे। उनकी मुख्य मांगें हैं:
- एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) की कानूनी गारंटी।
- फसलों की लागत के अनुसार उचित मूल्य।
- बिजली की दरों में स्थिरता।
- बकाया ऋण माफ करना।
किसान नेताओं ने कहा कि कई बार प्रशासन को ज्ञापन दिया गया है, लेकिन अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं।
दोपहर के समय, जब प्रदर्शनकारियों ने बैरिकेड्स तोड़ने की कोशिश की, तो पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए अश्रुगैस और पानी की बौछारों का सहारा लिया। इसके बाद प्रदर्शन स्थल पर अफरातफरी मच गई।
घायल और स्थिति की गंभीरता
घटना में छह प्रदर्शनकारी घायल हुए हैं, जिनमें से दो को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। किसानों ने इसे "पुलिस की दमनकारी कार्रवाई" करार दिया है और प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए।
किसानों का अल्टीमेटम
घटना के बाद किसान नेताओं ने प्रशासन को 24 घंटे का समय दिया है। उन्होंने कहा,
"यदि हमारी मांगों को 24 घंटे के भीतर पूरा नहीं किया गया तो हम राष्ट्रीय स्तर पर बड़ा आंदोलन शुरू करेंगे। हमारा संघर्ष अहिंसक है, लेकिन यदि हमें दबाने की कोशिश की गई, तो परिणाम गंभीर होंगे।"
प्रशासन की प्रतिक्रिया
पुलिस का कहना है कि उन्होंने सिर्फ स्थिति को नियंत्रित करने के लिए कार्यवाही की और किसी भी प्रदर्शनकारी के साथ बल प्रयोग का उद्देश्य नहीं था।
प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया,
"हमने किसानों से वार्ता का प्रस्ताव दिया है। उनकी मांगों पर विचार किया जाएगा, लेकिन कानून-व्यवस्था बनाए रखना हमारी प्राथमिकता है।"
आगे की राह
किसानों और प्रशासन के बीच स्थिति अत्यधिक तनावपूर्ण बनी हुई है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि अगले 24 घंटे में बातचीत का रास्ता निकलता है या यह विरोध और अधिक व्यापक रूप लेता है।
इस घटना ने एक बार फिर किसानों की समस्याओं और उनके समाधान की आवश्यकता को प्रमुखता से सामने ला दिया है। यह न केवल सरकार के लिए एक परीक्षा है बल्कि देश के नीति-निर्माताओं के लिए भी एक सबक है कि किसानों की आवाज को अनसुना करना दीर्घकालिक रूप से नुकसानदेह हो सकता है।
-बालकृष्ण साहू-रायपुर ।