प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संबोधन देश, समाज व व्यक्ति के जीवन के विभिन्न पहलुओं पर होता है
- संपादकीय
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K.W.N.S.-मन की बात हो और छत्तीसगढ़ का जिक्र ना हो यह कैसे हो सकता है. आकाशवाणी से मन की बात के अब तक 99 एपिसोड प्रसारित हो चुके है तथा शतकीय एपिसोड का प्रसारण 30 अप्रेल को होगा जिसका सभी देशवासी बेसब्री से इंतजार कर रहें है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संबोधन प्रायः देश, समाज व व्यक्ति के जीवन के विभिन्न पहलुओं पर होता है. उनकी चर्चा का विषय बड़ा व्यापक आता है. शायद ही कोई विषय ऐसा हो जो उनसे अछूता हो. अपने संवाद में वे सभी वर्गों व क्षेत्रों को समेट लेते हैं. मजे की बात तो यह है कि मन की बात में जिस व्यक्ति, क्षेत्र या विषय की चर्चा होती है वह तुरंत दुनिया भर में ट्रेंड हो जाता है।
मन की बात में छत्तीसगढ़ का अनेकों बार उल्लेख हुआ है. श्री मोदी ने 26 जुलाई 2015 को 10 वे एपिसोड में राजनांदगाव जिले के केसला गांव का उल्लेख किया तो पूरे छत्तीसगढ़ वासियों का सीना चौड़ा हो गया. हर जगह केसला गांव के लोगों की सोच और समझदारी की चर्चा होने लगी. उन्होनें कहा था - "अभी एक समाचार मेरे कान पे आये थे, कभी-कभी ये छोटी-छोटी चीज़ें बहुत मेरे मन को आनंद देती हैं। इसलिए मैं आपसे शेयर कर रहा हूँ। छत्तीसगढ़ के राजनांदगाँव में केसला करके एक छोटा सा गाँव है। उस गाँव के लोगों ने पिछले कुछ महीनों से कोशिश करके टायलेट बनाने का अभियान चलाया और अब उस गाँव में किसी भी व्यक्ति को खुले में शौच नहीं जाना पड़ता है। ये तो उन्होंने किया लेकिन जब पूरा काम पूरा हुआ तो पूरे गाँव ने जैसे कोई बहुत बड़ा उत्सव मनाया जाता है वैसा उत्सव मनाया। गाँव ने ये सिद्धि प्राप्त की। केसला गाँव समस्त ने मिल कर के एक बहुत बड़ा आनंदोत्सव मनाया। समाज जीवन में मूल्य कैसे बदल रहे हैं, जन-मन कैसे बदल रहा है और देश का नागरिक देश को कैसे आगे ले जा रहा है इसके ये उत्तम उदाहरण मेरे सामने आ रहे हैं।"
इसी प्रकार उन्होंने 27 दिसंबर 2015 को 15 वी कड़ी में स्वामी विवेकानंद जी की जन्म-जयंती पर रायपुर में प्रस्तावित राष्ट्रीय युवा महोत्सव के संबंध में कहा था - "प्यारे नौजवान साथियो, 12 जनवरी स्वामी विवेकानंद जी की जन्म-जयंती है। मेरे जैसे इस देश के कोटि-कोटि लोग हैं जिनको स्वामी विवेकानंद जी से प्रेरणा मिलती रही है। 1995 से 12 जनवरी स्वामी विवेकानंद जयंती को एक राष्ट्रीय युवा उत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस वर्ष ये 12 जनवरी से 16 जनवरी तक छत्तीसगढ़ के रायपुर में होने वाला है और मुझे जानकारी मिली कि इस बार की उनकी जो थीम है, क्योंकि उनका ये इवेंट थीम बेस्ड होता है, थीम बहुत बढ़िया है ‘इण्डिया यूथ ऑन डेवलपमेंट स्किल एन्ड हार्मोनी’. मुझे बताया गया कि सभी राज्यों से, हिंदुस्तान के कोने-कोने से 10 हज़ार से ज़्यादा युवा इकट्ठे होने वाले हैं। एक लघु भारत का दृश्य वहाँ पैदा होने वाला है। युवा भारत का दृश्य पैदा होने वाला है। एक प्रकार से सपनों की बाढ़ नज़र आने वाली है। संकल्प का एहसास होने वाला है। इस यूथ फेस्टिवल के संबंध में क्या आप मुझे अपने सुझाव दे सकते हैं ? मैं ख़ास कर के युवा दोस्तों से आग्रह करता हूँ कि मेरी जो ‘नरेंद्र मोदी एप’ है उस पर आप डायरेक्टली मुझे अपने विचार भेजिए। मैं आपके मन को जानना-समझना चाहता हूँ और जो ये नेशनल यूथ फेस्टिवल में रिफ्लेक्ट हो, मैं सरकार में उसके लिए उचित सुझाव भी दूँगा, सूचनाएँ भी दूँगा। तो मैं इंतज़ार करूँगा दोस्तो, ‘नरेंद्र मोदी एप’ पर यूथ फेस्टिवल के संबंध में आपके विचार जानने के लिए।"
श्री मोदी ने 28 अगस्त 2016 को 23 वे एपिसोड में कबीरधाम जिले के स्कूली बच्चों से जुड़े एक प्रसंग का जिक्र बड़े ही आदर व सम्मान के साथ किया। अचरज भी हुआ क्योकिं जिस प्रसंग की जानकारी अच्छों अच्छों को नहीं थी लेकिन प्रधानमंत्री की पैनी निगाह ने खोज कर ली. यही तो चमत्कार है. उन्होंने कहा था- "मेरे प्यारे देशवासियों, कुछ बातें मुझे कभी-कभी बहुत छू जाती हैं और जिनको इसकी कल्पना आती हो, उन लोगों के प्रति मेरे मन में एक विशेष आदर भी होता है। 15 जुलाई को छत्तीसगढ़ के कबीरधाम ज़िले में करीब सत्रह-सौ से ज्यादा स्कूलों के सवा-लाख से ज़्यादा विद्यार्थियों ने सामूहिक रूप से अपने-अपने माता-पिता को चिट्ठी लिखी। किसी ने अंग्रेज़ी में लिख दिया, किसी ने हिंदी में लिखा, किसी ने छत्तीसगढ़ी में लिखा, उन्होंने अपने माँ-बाप से चिट्ठी लिख कर के कहा कि हमारे घर में टायलेट होना चाहिए। टायलेट बनाने की उन्होंने माँग की, कुछ बालकों ने तो ये भी लिख दिया कि इस साल मेरा जन्मदिन नहीं मनाओगे तो चलेगा, लेकिन टायलेट ज़रूर बनाओ। सात से सत्रह साल की उम्र के इन बच्चों ने इस काम को किया और इसका इतना प्रभाव हुआ, इतना इमोशनल इंपैक्ट हुआ कि चिट्ठी पाने के बाद जब दूसरे दिन स्कूल आया, तो माँ-बाप ने उसको एक चिट्ठी पकड़ा दी टीचर को देने के लिये और उसमें माँ-बाप ने वादा किया था कि फ़लानी तारीख तक वह टायलेट बनवा देंगे। जिसको ये कल्पना आई उनको भी अभिनन्दन, जिन्होंने ये प्रयास किया उन विद्यार्थियों को भी अभिनन्दन और उन माता-पिता को विशेष अभिनन्दन कि जिन्होंने अपने बच्चे की चिट्ठी को गंभीर ले करके टायलेट बनाने का काम करने का निर्णय कर लिया। यही तो है, जो हमें प्रेरणा देता है।"
रायपुर नगर निगम के कचरा महोत्सव के श्री मोदी भी मुरीद हुए थे, उन्होंने 41 वे एपिसोड में दिनांक 25 फरवरी 2018 को इसे स्वच्छता के लिए अनूठा प्रयास निरूपित करते हुए कहा था - " मेरे प्यारे देशवासियो, आज तक हम म्यूजिक फेस्टिवल, फ़ूड फेस्टिवल फिल्म फेस्टिवल न जाने कितने-कितने प्रकार के फेस्टिवल के बारे में सुनते आए हैं । लेकिन छत्तीसगढ़ के रायपुर में एक अनूठा प्रयास करते हुए राज्य का पहला ‘कचरा महोत्सव’ आयोजित किया गया। रायपुर नगर निगम द्वारा आयोजित इस महोत्सव के पीछे जो उद्देश्य था वह था स्वच्छता को लेकर जागरूकता। शहर के वेस्ट का क्रिएटिवेली यूज करना और गार्बेज को रि-यूज करने के विभिन्न तरीकों के बारे में जागरूकता पैदा करना। इस महोत्सव के दौरान तरह-तरह की एक्टिविटी हुई जिसमें छात्रों से लेकर बड़ों तक, हर कोई शामिल हुआ। कचरे का उपयोग करके अलग-अलग तरह की कलाकृतियाँ बनाई गईं। वेस्ट मैनेजमेंट के सभी पहलूओं पर लोगों को शिक्षित करने के लिए वर्कशॉप आयोजित किये गए। स्वच्छता के थीम पर म्यूजिक परफॉर्मेंस हुई। आर्ट वर्क बनाए गए। रायपुर से प्रेरित होकर अन्य ज़िलों में भी अलग-अलग तरह के कचरा उत्सव हुए। हर किसी ने अपनी-अपनी तरफ से पहल करते हुए स्वच्छता को लेकर इंनोवेटिव आइडियाज शेयर किये, चर्चाएं की, कविता पाठ हुए। स्वच्छता को लेकर एक उत्सव-सा माहौल तैयार हो गया। खासकर स्कूली बच्चों ने जिस तरह बढ़-चढ़ करके भाग लिया, वह अद्भुत था। वेस्ट मैनेजमेंट और स्वच्छता के महत्व को जिस अभिनव तरीक़े से इस महोत्सव में प्रदर्शित किया गया, इसके लिए रायपुर नगर निगम, पूरे छत्तीसगढ़ की जनता और वहां की सरकार और प्रशासन को मैं ढ़ेरों बधाइयाँ देता हूँ।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बस्तर के बीजापुर में आई ई डी ब्लास्ट में शहीद सीआरपीएफ के स्निफर डॉग 'क्रेकर' की दिनांक 30 अगस्त 2020 को मन की बात के 68 वे एपिसोड में चर्चा करते हुए अपने मन के भाव को यूँ प्रकट किया - "एक डॉग बलराम ने 2006 में अमरनाथ यात्रा के रास्ते में, बड़ी मात्रा में, गोला-बारूद खोज निकाला था | 2002 में डॉग भावना ने आई ई डी खोजा था, आई ई डी निकालने के दौरान आंतकियों ने विस्फोट कर दिया और श्वान शहीद हो गये | दो-तीन वर्ष पहले छत्तीसगढ़ के बीजापुर में सीआरपीएफ का स्निफर डॉग 'क्रेकर' भी आई ई डी ब्लास्ट में शहीद हो गया था | अगली बार, जब भी आपडॉग पालने की सोचें, आप जरुर इनमें से ही किसी इंडियन बीड के डॉग को घर लाएँ | आत्मनिर्भर भारत, जब जन-मन का मन्त्र बन ही रहा है, तो कोई भी क्षेत्र इससे पीछे कैसे छूट सकता है ।
कोरोना महामारी के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की जनता की जिस प्रकार हौसला अफजाई की वह किसी से छुपी नहीं है. उन्होंने कोरोना वारियर्स का हौसला भी डिगने नहीं दिया। मन की बात में दिनांक 25 अप्रेल 2021 को उन्होंने रायपुर के डॉक्टर बी.आर. अम्बेडकर मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में कार्यरत एक नर्स भावना ध्रुव से सीधे बात की थी। मुश्किल दौर में इस मोदी मन्त्र से देश भर के कोरोना वारियर्स को एक प्रकार से संजीवनी मिल गई. इसी प्रकार उन्होंने 24 अक्टूबर 2021 को छत्तीसगढ़ के देऊर गाँव की महिलाओं द्वारा गाँव के चौक-चौराहों, सड़कों और मंदिरों की सफाई कार्य का जिक्र करते हुए सराहना की थी. 91 वे एपिसोड में दिनांक 31 जुलाई 2022 को श्री मोदी ने नारायणपुर बस्तर के ‘मावली मेले’ का उल्लेख किया था. मन की बात के 97 वे तथा वर्ष 2023 के पहले एपिसोड में दिनांक 29 जनवरी को प्रधानमंत्री श्री मोदी ने अंतर्राष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष का जिक्र करते हुए कहा था - "अगर आपको छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जाने का मौका मिले तो यहाँ के 'मिलेटस कैफे' जरुर जाइएगा। कुछ ही महीने पहले शुरू हुए इस 'मिलेटस कैफे' में चीला, डोसा, मोमोस, पिज़्ज़ा और मंचूरियन जैसे आईटम खूब पॉपुलर हो रहे हैं।" इसी एपिसोड में उन्होंने बिलासपुर में आठ प्रकार के मिलेट्स का आटा और उसके व्यंजन बनाने के काम में लगे के एफपीओ की जानकारी दी इसी एपिसोड में आगे उन्होंने कहा कि जनजातीय समुदाय हमारी धरती, हमारी विरासत का अभिन्न हिस्सा रहे हैं। देश और समाज के विकास में उनका योगदान बहुत महत्वपूर्ण है। उनके लिए काम करने वाले व्यक्तित्वों का सम्मान, नई पीढ़ी को भी प्रेरित करेगा। इस वर्ष पद्म पुरस्कारों की गूँज उन इलाकों में भी सुनाई दे रही है, जो नक्सल प्रभावित हुआ करते थे। अपने प्रयासों से नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में गुमराह युवकों को सही राह दिखाने वालों को पद्म पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। इसके लिए कांकेर में लकड़ी पर नक्काशी करने वाले अजय कुमार मंडावी और गढ़चिरौली के प्रसिद्द झाडीपट्टी रंगभूमि से जुड़े परशुराम कोमाजी खुणे को भी ये सम्मान मिला है। इसी प्रकार नॉर्थ-ईस्ट में अपनी संस्कृति के संरक्षण में जुटे रामकुईवांगबे निउमे, बिक्रम बहादुर जमातिया और करमा वांगचु को भी सम्मानित किया गया है।
मन की बात के माध्यम से छत्तीसगढ़ के अनेक प्रसंग पूरे देश में चर्चित भी हुए और प्रेरणा भी बने. यह छत्तीसगढ़ के लिए गौरव करने वाली बात है।