बसपा की धमकी का असर, मप्र सरकार सभी राजनीतिक मुकदमे वापस लेगी
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भोपाल। बसपा की समर्थन वापसी की धमकी का असर हुआ है। प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने पिछले 15 सालों में नेताओं, पार्टी कार्यकर्ताओं और अन्य पर दर्ज किए गए राजनीतिक मुकदमे वापस लेने की घोषणा की है। प्रदेश के कानून मंत्री पीसी शर्मा ने कहा है कि एट्रोसिटी एक्ट के खिलाफ 2 अप्रैल 2018 को हुए भारत बंद आंदोलन के तहत जिन लोगों पर मामले दर्ज किए गए थे, सरकार ने उन्हें वापस लेने का फैसला किया है। इसी तरह पिछले 15 सालों में जितने भी राजनीतिक मामले दर्ज किए गए वे सब वापस होंगे।
गौरतलब है कि बसपा ने 1 दिन पहले ही कांग्रेस को मध्यप्रदेश और राजस्थान में समर्थन वापस लेने की धमकी दी थी। इसके बाद मध्यप्रदेश के नए कानून मंत्री पीसी शर्मा ने ट्वीट कर साफ किया कि 2 अप्रैल 2018 को भारत बंद के दौरान हुई हिंसा के बाद कई लोगों पर मामले दर्ज किए गए थे। सरकार इन्हें वापस लेगी। इसके अलावा पिछले 15 सालों में भाजपा सरकार ने राजनीति से प्रेरित होकर कई लोगों पर मुकदमे दर्ज कराए थे, सरकार उन्हें भी वापस लेगी।
प्रदेश सरकार के इस फैसले को बसपा की धमकी का असर माना जा रहा है। पीसी शर्मा ने पदभार संभालने के बाद भी कहा कि था कि भाजपा के शासनकाल में कई लोगों पर राजनीतिक मुकदमे दर्ज किए गए थे। इनमें कांग्रेस, बसपा, कम्युनिस्ट और नर्मदा बचाओ आंदोलन के कई कार्यकर्ता और पदाधिकारी शामिल हैं। सरकार इन सबके खिलाफ लगाए गए मामले वापस लेगी। प्रदेश सरकार ने मुकदमे वापस लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी है
बसपा के साथ से चल रही सरकार
मध्य प्रदेश में कुल 230 विधानसभा सीटें हैं और सरकार बनाने के लिए कम से कम 116 विधायकों की जरूरत होती है लेकिन कांग्रेस के 114 विधायक हैं। कांग्रेस को बसपा के 2, सपा का 1 और 4 निर्दलीय विधायकों का समर्थन मिला हुआ। इसी तरह राजस्थान में कुल 200 विधानसभा सीटें हैं जिनमें 199 पर चुनाव हुआ। 200 विधायकों के सदन में सरकार बनाने के लिए 101 विधायकों की जरूरत होती है लेकिन कांग्रेस के 99 विधायक हैं और उसे बहुजन समाज पार्टी के 6 विधायकों का समर्थन मिला हुआ है।