ट्रेन हाईजैक में उम्रकैद का प्रावधान नहीं: हाईकोर्ट
- बिलासपुर
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बिलासपुर। हाईकोर्ट ने रेलवे एक्ट में उम्रकैद का प्रावधान नहीं होने के कारण ट्रेन हाईजैक करने के आरोपितों को दुर्ग सत्र न्यायालय ने मिली सजा को निरस्त किया है। हालांकि अन्य धाराओं में सुनाई गई सजा को यथावत रखा है। आरोपितों ने अपहरण के आरोपित को भगाने के लिए 2016 में जनशताब्दी एक्सप्रेस को हाईजैक किया था।
दुर्ग के व्यवसायी जयचंद वैद के अपहरण मामले में पुलिस ने अपहरणकर्ता उपेन्द्र उर्फ कबरा समेत अन्य को धनबाद से गिरफ्तार कर जेल दाखिल किया था। आरोपित कबरा को अपहरण के एक अन्य मामले में उम्रकैद की सजा होने पर बिलासपुर केन्द्रीय जेल में रखा गया था।
छह मार्च 2016 को आरोपित उपेन्द्र को आरक्षक वीरेन्द्र समेत तीन आरक्षक पेशी में लेकर दुर्ग गए थे। पेशी होने के बाद आरक्षक आरोपित को गोंदिया-रायगढ़ जनशताब्दी एक्सप्रेस से वापस बिलासपुर आ रहे थे। दुर्ग से छूटने के बाद और सरोना से पहले कुछ लोगों ने चेनपुलिंग कर ट्रेन रोकी।
बदमाशों ने इंजन में चढ़कर लोको पायलट धीरेन्द्र कुमार ठाकुर व एके तारम को बंधक बनाकर ट्रेन को हाईजैक कर लिया। खम्हरिया के पास आरोपितों ने गाड़ी रुकवाई और आरक्षकों की आंखों में मिर्ची पावडर डालकर उपेन्द्र को लेकर भाग गए। मौके पर पहले से वाहन की व्यवस्था थी। लेकिन आरोपितों की संख्या अधिक होने पर सभी एक वाहन से नहीं भाग पाए। ऐसे में सरोना की ओर से आ रही एक कार को लूट कर सभी भाग गए।
रास्ते में कार दुर्घटनाग्रस्त होने से कुछ आरोपित पुलिस के हाथ लगे। इस मामले में पुलिस ने आरोपित उपेन्द्र सिंह, अनिल सिंह, प्रीतम सिंह, भागने में सहयोग करने वाले शंकर साव, बिल्लू सहित 10 लोगों को गिरफ्तार कर जेल दाखिल किया गया। इस मामले में पुलिस ने तीन अलग-अलग अपराध दर्ज किया था।
रेल चालक की रिपोर्ट पर जनशताब्दी एक्सप्रेस को हाईजैक करने के आरोप में रेलवे एक्ट के तहत, वहीं सरोना पुलिस ने कार मालिक की रिपोर्ट पर डकैती व आरक्षकों की रिपोर्ट पर अलग से अपराध दर्ज कर न्यायालय में चालान पेश किया। दुर्ग के सत्र न्यायालय ने सभी आरोपितों को अलग-अलग धारा में सजा सुनाई एवं ट्रेन हाईजैक करने के मामले में रेलवे एक्ट के तहत सभी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।
आरोपितों ने अधिवक्ता बीपी सिंह के माध्यम से हाईकोर्ट में अपील पेश की। जस्टिस एमएम श्रीवास्तव व जस्टिस विमला सिंह कपूर की डीबी ने सुनवाई हुई। डीबी ने रेलवे एक्ट में उम्रकैद का प्रावधान नहीं होने पर सत्र न्यायालय के आदेश को रद किया है। कोर्ट ने अन्य धाराओं में सुनाई गई सजा को यथावत रखा है।