Friday, 20 September 2024

अंतागढ़ मामले में जोगी पिता-पुत्र को राहत, झीरम मामले में याचिका खारिज

 Chhattisgarh High Court : अंतागढ़ मामले में जोगी पिता-पुत्र को राहत, झीरम मामले में याचिका खारिज
बिलासपुर । छत्तीसगढ़ की राजनीति में भूचाल लाने वाले अंतागढ़ टेप कांड मामले में पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी व उनके पुत्र अमित जोगी को अदालत से बड़ी राहत मिली है। इस मामले में उनकी अग्रिम जमानत याचिका हाईकोर्ट ने मंजूर कर ली है। दूसरी तरफ झीरम घाटी हत्याकांड की जांच कर रहे आयोग के फैसले के खिलाफ छत्तीसगढ़ शासन की याचिका को हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने भी खारिज कर दिया है। बता दें कि अंतागढ़ विधानसभा चुनाव के दौरान वहां से उम्मीदवार रहे मंतूराम पवार की खरीद-फरोख्त का मामला सामने आया था। चुनाव के दौरान मंतूराम को पैसे लेकर चुनाव न लड़ने का प्रलोभन दिया गया था। इसे लेकर हुई बातचीत का टेप बाद में सार्वजनिक हुआ और यह मामला सामने आया। इसे लेकर रायपुर में दोनों के खिलाफ कांग्रेस नेता व पूर्व महापौर किरणमई नायक ने एफआईआर दर्ज कराई थी।
इस मामले में कुल पांच लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। बाद में मंतूराम इस मामले में सरकारी गवाह बन गए। उन्होंने इस मामले को लेकर बाद में एक प्रेस वार्ता भी की थी, जिसमें उन्होंने जोगी पिता-पुत्र सहित पूर्व सीएम डॉ रमन सिंह पर कई गंभीर आरोप लगाए थे।
रायपुर के पंडरी थाने में दोनों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी, जिसमें अग्रिम जमानत के लिए दोनों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। जस्टिस अरविंद सिंह चंदेल की सिंगल बेंच में बुधवार पर लगा था पूरा मामला।
झीरम जांच आयोग पर डिवीजन बेंच ने खारिज की याचिका
झीरम घाटी हत्याकांड की जांच कर रहे आयोग के फैसले के खिलाफ छत्तीसगढ़ शासन की याचिका को हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने भी खारिज कर दिया है। इस फैसले के बाद सरकार अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी में है।
शासन ने जस्टिस प्रशांत मिश्रा की अध्यक्षता वाले झीरम न्यायिक जांच आयोग के खिलाफ याचिका लगाई थी। शासन ने जांच आयोग द्वारा आवेदन को खारिज करने के बाद पहले सिंगल बेंच और सिंगल बेंच से खारिज होने के डीविजन बेंच में याचिका लगाई थी। डिवीजन बेंच ने भी सरकार का आवेदन ये कहते हुए खारिज कर दिया कि आयोग अपना फैसला लेने के लिए सक्षम है। उसमें हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता।
आयोग ने राज्य शासन के पांच लोगों की गवाही, एक टेक्निकल एक्सपर्ट की गवाही सहित तीन आवेदनों को निरस्त कर दिया था। इसके साथ ही शासन ने झीरम मामले की सुनवाई दोबारा शुरू करने की भी मांग करते हुए हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी।
चीफ जस्टिस पीआर रामचंद्र मेनन और जस्टिस पीपी साहू की डिवीजन बेंच ने इस मामले में बीते सोमवार को सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रखा लिया था। याचिका खारिज होने के बाद महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा ने कहा कि तकनीकी आधार पर याचिका अस्वीकार हुई है। राज्य सरकार हाईकोर्ट के डिवीजन बेंच के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी।
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