केंद्रीय मंत्री रेणुका सिंह समेत ढाई दर्जन अफसरों के खिलाफ FIR दर्ज करने के आदेश
- बिलासपुर
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बिलासपुर । बिलासपुर हाईकोर्ट ने आज भ्रष्टाचार के एक बड़े मामले में केन्द्रीय मंत्री, दर्जन भर आईएएस समेत कुल करीब ढाई दर्जन लोगों के खिलाफ एफआईआर करने के आदेश दिए हैं। अनुमान लगाया जा रहा है कि देश में आईएएस के खिलाफ भ्रष्टाचार के बड़े पांच मामलों में यह भी शामिल हो गया है। समझा जा सकता है कि इस मामले में कितने बड़े लोग शामिल हैं।
याचिका के अनुसार, इस पूरे भ्रष्टाचार की नींव 2004 में रखी गई थी। राजधानी से लगे माना 4000 दिव्यांगों के उपचार के नाम पर करोड़ों रूपए खर्च किए गए, लेकिन सारा हिसाब किताब केवल कागजों में मिला। इस मामले में तात्कालीन पंचायत एवं समाज कल्याण विभाग मंत्री रेणुका सिंह के अलावा कई अफसरों के नाम सामने आए हैं। खास बात यह है कि चीफ सिकरेट्री स्तर पर काम कर चुके कुछ सीनियर अफसरों के नाम भी हाईकोर्ट के आदेश पत्र में उल्लेखित हैं।
इस मामले के याचिकाकर्ता रायपुर निवासी कुंदन ठाकुर हैं। बताया जाता है दिव्यांगों के उपचार के नाम पर सरकारी तंत्र ने जब करोड़ों रूपए की घोटालेबाजी की, तो उसमें कुंदन ठाकुर का भी नाम था। कुंदन ठाकुर को रिकॉर्ड में कर्मचारी बताकर वेतन के रूप में कुंदन के नाम पर रूपए आहरित किए जा रहे थे। जब इसकी भनक कुंदन को लगी, तो उन्होंने अपने स्तर पर जानकारी जुटाकर हाईकोर्ट में एक अर्जी दाखिल की। हाईकोर्ट के एकलपीठ न्यायमूर्ति मनीन्द्र श्रीवास्तव ने इस प्रकरण की प्रारंभिक सुनवाई के बाद माना कि यह साधारण मामला न होकर जनहित याचिका के रूप में स्वीकार करने योग्य है। इसलिए आगे की सुनवाई युगलपीठ ने की। याचिकाकर्ता के वकील देवर्षि ठाकुर ने बताया कि हाईकोर्ट के जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा और जस्टिस पार्थ प्रतिम साहू के युगलपीठ ने यह महत्वपूर्ण फैसला दिया है।
आपको बता दें, हाईकोर्ट में यह मामला सन 2017 से चल रहा है। इस बीच अदालत ने कई बार शासन से इस संबंध में जवाब भी मांगा। न्यायालयीन सूत्रों के अनुसार, एक शपथपूर्वक जवाब में शासन ने यह स्वीकार भी किया है कि ऐसी गड़बड़ी दोबारा ना हो, इसके लिए समुचित व्यवस्था और सावधानी सुनिश्चित की जाएगी।
जैसे ही इस मामले में हाईकोर्ट का फैसला आया, इसकी खबर बार-बेंच से निकलकर विपक्ष, प्रशासन और सत्ता के गलियारों तक जंगल में लगी आग की तरह फैल गई। आला पदों पर रहे मंत्री, अफसरों पर एकमुश्त सप्ताह भर के भीतर एफआईआर दर्ज करने के हाईकोर्ट के निर्देश ने हर जगह हड़कंप मचा दिया। दरअसल, इसमें प्रशासनिक अधिकारियों के अलावा समाज कल्याण विभाग के अंतर्गत दिव्यांगों के नाम पर बजट लेने वाले कई एनजीओ और उनके कर्ताधर्ताओं के नाम भी सामने आने की संभावना है। इसीलिए हाईकोर्ट के इस निर्देश के कारण छत्तीसगढ़ के कई एनजीओ और कई स्वयंसेवी संस्थाओं में भी खलबली मची हुई है। इस मामले में याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता देवर्षि ठाकुर का अनुमान है कि पूरे देश में आईएएस के खिलाफ चल रहे भ्रष्टाचार के पांच बड़े मामलों में से एक छत्तीसगढ़ का एक मामला यह भी है।