Friday, 20 September 2024

रायपुर । आइएएस भुवनेश यादव को छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कार्पोरेशन की जिम्मेदारी दी गई है। वहीं, बिना विभाग के मंत्रालय में बैठे सत्यानारायण राठौर को राज्य के खाद्य एवं औषधि प्रशासन की कमान सौंपी गई है। शुक्रवार को सरकार ने राज्य के चार आइएएस अफसरों के प्रभार में फेरबदल का आदेश जारी किया है।
आदेश के अनुसार निरंजन दास को प्रबंध संचालक मेडिकल सर्विसेस कापार्रेशन की जिम्मेदारी से मुक्त करते हुए यादव को यह काम सौंपा है। इसी तरह दास के जिम्मे रहे खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग को मंत्रालय में बिना विभाग के पदस्थ आइएएस सत्यनारायण शर्मा को सौंपा गया है।
इस फेरबदल के बाद निरंजन दास अब केवल प्रबंध संचालक राज्य नागरिक आपूर्ति निगम रह गए हैं। यादव को विशेष सचिव स्वास्थ्य अतिरिक्त प्रभार आयुक्त स्वास्थ्य सेवायें व प्रबंध संचालक मेडिकल सर्विसेस कार्पोरेशन का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है।
भीम सिंह संचालक कृषि व अतिरिक्त प्रभार अपर आयुक्त महात्मा गांधी नरेगा, संचालक ग्रामीण आवास एवं गन्ना आयुक्ता को आयुक्त मनरेगा के पद पर पदस्थ करते हुए संचालक कृषि संचालक ग्रामीण आवास एवं गन्ना आयुक्त का अतिरिक्त प्रभार। मनरेगा आयुक्त की जिम्मेदारी अभी तक जीएडी सचिव रीता शांडिल्य देख रही थीं। इसी तरह राठौर उप सचिव मंत्रालय को नियंत्रक खाद्य एवं औषधि प्रशासन के पद पर पदस्थ किया गया है।

रायपुर । छत्तीसगढ़ में पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान राज्य में भाजपा की सत्ता थी। देश भर में प्रचंड मोदी लहर। इसके बावजूद भी राज्य को क्लीन स्वीप करने का दांव दुर्ग सीट पर आकर ठिठक गया। 11 में 10 सीट जीतने वाली भाजपा को दुर्ग की सीट गंवाने की टीस पूरे पांच साल रही। नतीजन 2014 के नतीजे आने के बाद से यह सीट भाजपा की प्रतिष्ठा से जुड़ गई।
राज्य में महज इस एक सीट की जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश के कद्दावर नेता व मंत्री मंत्री स्वतंत्रदेव सिंह को सौंपी गई। स्वतंत्रदेव ने एक-एक मुद्दों की पड़ताल की और जीत का फार्मूला सेट करने की कोशिश की। अब सीट पर भाजपा मजबूत उम्मीदवार देने के साथ ही अपने योद्धाओं को उतारने की तैयारी कर रही है।
कांग्रेस के कद्दावर भी यहीं से
राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और कैबिनेट के तीन मंत्री ताम्रध्वज साहू, रविंद्र चौबे और रुद्र गुरु इसी क्षेत्र से हैं। कांग्रेस भी रणनीतिक रूप से इस सीट को सर्वाधिक प्रतिष्ठापरक मान रही है।
जातिगत समीकरण साधने की कवायद
भाजपा के उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो दुर्ग लोकसभा सीट पर ओबीसी वोटर प्रभावी भूमिका में हैं। यहां से भाजपा लगातार साहू समाज का उम्मीदवार उतारती रही। पिछले दो चुनाव से भाजपा ने सरोज पांडेय को उम्मीदवार बनाया। सरोज भाजपा की राष्ट्रीय महामंत्री हैं, ऐसे में उनके प्रभाव वाली सीट हाईप्रोफाइल मानी जा रही है।
भाजपा में सरोज की पसंद के रूप में वीरेंद्र साहू और सांवलाराम डाहिरे हैं। वहीं, संगठन की ओर से पूर्व मंत्री रमशीला साहू का नाम बढ़ाया गया है। इस बीच, कोआपरेटिव सेक्टर में पहचान रखने वाले प्रीतपाल बेलचंदन भी दौड़ में शामिल हैं। यही नहीं, अमित शाह की टीम के सर्वे रिपोर्ट में भी ऐसे उम्मीदवार को मैदान में उतारने का संकेत मिला है, जिसका पहले का चुनावी रिकार्ड न हो।
कांग्रेस से भी ओबीसी उम्मीदवार दौड़ में
दुर्ग लोकसभा सीट से कांग्रेस में भी ओबीसी उम्मीदवार दौड़ में हैं। मंत्री ताम्रध्वज साहू के बेटे सहित एक दर्जन ओबीसी नेताओं के नाम सामने आ रहे हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का गृह जिला होने के कारण यहां कांग्रेस भी बेहतर विकल्प के साथ मैदान में उतरने की कोशिश में है। भूपेश बघेल पर इस सीट को जीतने का दबाव इसलिए भी है, क्योंकि पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह अपने गृह क्षेत्र और विधानसभा क्षेत्र में आने वाली राजनांदगांव लोकसभा को लगातार जीत रहे हैं। सिर्फ एक चुनाव में कांग्रेस के देवव्रत सिंह की जीत हुई थी।
वोटरों का मिक्स समीकरण
दुर्ग लोकसभा की तीन विधानसभा शहरी वोटरों वाली है। दुर्ग शहर, भिलाई नगर और वैशाली नगर के वोटर मिक्स कल्चर के हैं। ऐसे में सबसे ज्यादा नजर ग्रामीण क्षेत्रों के वोटरों पर है। यहां किसान वोटर भी प्रभावी भूमिका में है। किसानों के कर्ज माफ के बाद यहां समीकरण बदलने की उम्मीद की जा रही है।
बताया जा रहा है कि सरकार बदलने के बाद यहां के राजनीतिक समीकरण में यूटर्न आया है। ऐसे में कांग्रेस और भाजपा के उम्मीदवार के चयन के बाद ही असली मुकाबला शुरू होने की उम्मीद है।

रायपुर । छत्तीसगढ़ में पहले चरण में बस्तर संसदीय सीट पर मतदान होना है। यह इलाका आदिवासी बहुल है। बस्तर संभाग के सात में से छह जिले पहले चरण की बस्तर सीट में शामिल हैं। ये सारे जिले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी परियोजना महत्वाकांक्षी जिलों में शामिल हैं। महत्वाकांक्षी या एस्पिरेशनल जिले वे हैं जो विकास की दौड़ में पीछे छूट गए थे। इन जिलों में मानव विकास सूचकांक का स्तर भी नीचे थे।
मोदी ने अपने कार्यकाल के चौथे साल में महत्वाकांक्षी जिलों की योजना लागू की। 17 वीं लोकसभा के चुनाव से पहले इन जिलों को विकास के लिए सिर्फ एक साल का समय मिला। फिर भी बस्तर के कुछ जिलों ने विकास की दौड़ में बेहतर प्रदर्शन किया है। महत्वाकांक्षी जिलों का विकास चुनाव में क्या असर डालेगा यह देखा जाना बाकी है।
बस्तर के जंगलों में बसे गांवों तक इन एक सालों में बैंकों की शाखाएं पहुंची हैं। अंदरूनी इलाकों में बंद पड़े स्कूलों को खोलने की कवायद शुरू की गई। प्राथमिक और उप स्वास्थ्य केंद्रों में दवा और डाक्टर का इंतजाम किया गया। दंतेवाड़ा, सुकमा, बस्तर, नारायणपुर जिलों में भी काफी काम हुआ।
पीएमजीएसवाय योजना से सैकड़ों सड़कें मंजूर की गई। जिला मुख्यालयों में बाजार का विकास किया गया। बीजापुर जिले में जिला अस्पताल को आधुनिक बनाया गया। इस साल मार्च में जारी रैंकिंग में कोंडागांव जिले ने स्वास्थ्य और पोषण में प्रथम पुरस्कार प्राप्त किया।
सभी इंडिकेटर के लिहाज से देश के 115 महत्वाकांक्षी जिलों में कोंडागांव दूसरे स्थान पर रहा। इस उपलब्धि के लिए कोंडागांव जिले को पांच करोड़ का पुरस्कार भी मिला। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस उपलब्धि के लिए कोंडागांव जिले को बधाई दी।
जहां मोदी गए थे वहां अब भी चल रहे बैंक और आंगनबाड़ी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछले साल 14 अप्रैल को बीजापुर जिले के धुर नक्सल प्रभावित जांगला गांव गए थे। यहां से उन्होंने आयुष्मान योजना का शुभारंभ किया। इस दौरान वे जांगला के उस केंद्र भी गए थे जहां एक ही परिसर में पंचायत भवन, स्कूल, आंगनबाड़ी, बैंक, पोस्ट ऑफिस, काल सेंटर आदि है।
मोदी ने इस केंद्र का अवलोकन किया था। जांगला में यह केंद्र अब भी चल रहा है। बीजापुर में मोदी के आगमन के बाद इस जिले ने सूचकांक में 45 अंक की छलांग लगाई थी।
कौन हैं महत्वाकांक्षी जिले-
देशभर में 115 जिलों को पिछड़ा माना गया है। इन्हें महत्वाकांक्षी जिले नाम दिया गया है। छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में शामिल बस्तर, दंतेवाड़ा, सुकमा, बीजापुर, कोंडांगांव, नारायणपुर और कांकेर के साथ ही राजनांदगांव, कोरबा और महासमुंद जिलों को इस सूची में शामिल किया गया है।
यहां बात होगी विकास की
लोकसभा चुनाव में दूसरी जगहों पर चाहे कुछ भी मुद्दा हो इन जिलों में विकास का मुद्दा सबसे ऊपर रहने वाला है। इन जिलों में स्वास्थ्य, पोषण, कृषि, शिक्षा, कौशल विकास, अधोसंरचना निर्माण, जल संसाधन, वित्तीय प्रबंधन, विद्युतीकरण आदि के सूचकांकों के आधार पर विकास का पैमाना तय किया गया है।
नीति आयोग ने इन जिलों के लिए केंद्र सरकार की ओर से ज्वाइंट सेक्रेटरी स्तर के अधिकारी तैनात किए हैं। इन जिलों में केंद्र और राज्य की अटकी परियोजनाओं को तेज गति से पूरा करने का काम किया जा रहा है। ऐसे में यहां विकास की ही बात होनी है। यहां से चली विकास की बहस प्रदेश की दूसरी सीटों तक भी पहुंचेगी जरूर।

रायपुर । लोकसभा चुनाव के घोषणापत्र में स्वास्थ्य सुरक्षा कानून लाने का वादा राहुल गांधी ने छत्तीसगढ़ में आयोजित एक कार्यक्रम से किया। आचार संहिता लगने के बाद शुक्रवार को पहली बार रायपुर आए राहुल ने साफ कहा कि इस बार पार्टी का घोषणापत्र स्वास्थ्य सेवा पर फोकस रहेगा। उन्होंने यूनिवर्सल हेल्थ स्कीम को आयुष्मान भारत योजना की काट बताते हुए स्वास्थ्य सेवा में सुधार के लिए तीन बड़े वादे किए।
पहला तो यही कि हर नागरिक को सुलभ और मुफ्त स्वास्थ्य सेवा दिलाने के लिए कानून लाया जाएगा। दूसरा, कुल जीडीपी की तीन फीसद राशि स्वास्थ्य सेवा में खर्च करके स्वास्थ्य का बजट बढ़ाया जाएगा। तीसरा, सरकारी अस्पतालों व मेडिकल कॉलेजों में चिकित्सकों की कमी दूर की जाएगी।
वीआइपी रोड स्थित होटल में एक संस्था के बैनर तले सर्व जन स्वास्थ्य का अधिकार परिचर्चा का आयोजन किया गया, जिसमें राहुल ने देशभर से आए स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम करने वाले गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधियों और विशेषज्ञ डॉक्टरों से यूनिवर्सल हेल्थ केयर स्कीम पर सुझाव लिए।
राहुल ने छत्तीसगढ़ से लोकसभा चुनाव के पहले जनता से दूसरा बड़ा वादा किया है। इसके पहले उन्होंने न्यूनतम आय का अधिकार कानून लाने की बात कही थी। राहुल ने सुझाव लेने के दौरान अपनी बातों से यह साफ कर दिया कि कांग्रेस सरकारी अस्पतालों के निजीकरण के पक्ष में नहीं है।
दूसरी तरफ, उन्होंने कहा कि निजी अस्पतालों के बिना स्वास्थ्य सेवा बेहतर हो सकती है, वे ऐसा भी नहीं कह रहे। उन्होंने कहा कांग्रेस सरकार बनने पर पहले सरकारी स्वास्थ्य सेवा को बेहतर किया जाएगा। राहुल ने मोदी सरकार की आयुष्मान योजना पर फिर से हमला बोलते हुए कहा कि यह योजना सिर्फ और सिर्फ बड़ी बीमा कंपनियों के लिए बनाई गई।
उन्होंने बीमा कंपनियों का भी विरोध किया, कहा-बीमा कंपनियां स्वास्थ्य के क्षेत्र में लाभ कमाने वाले बिग प्लेयर हैं। इस कारण कांग्रेस सरकार ऐसा कानून ला रही है, जिसमें बीमा कराने की जस्र्रत नहीं होगी। परिचर्चा में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत, स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव समेत अन्य मंत्री भी शामिल हुए।
छत्तीसगढ़ व राजस्थान की स्कीम देश में लागू होगी
राहुल ने कहा है कि राजस्थान की हेल्थ केयर स्कीम को केंद्र में कांग्रेस की सरकार बनने पर देश भर में लागू किया जाएगा। राहुल ने राजस्थान की ड्रग पॉलिसी की सराहना की। प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री सिंहदेव ने कहा कि इस स्कीम को छत्तीसगढ़ में लागू करने पर तेजी से काम चल रहा है। प्रदेश में जल्द लागू करने की कोशिश है।
बोले-मुझसे सवाल न पूछें, अपना सुझाव दें
परिचर्चा के दौरान हेल्थ एक्सपर्ट्स राहुल से सवाल और उनका विजन पूछने लगे। इस पर राहुल ने कहा कि उनसे सवाल न पूछें, अपना सुझाव दें। उनके पास विजन है और सब सवालों का जवाब भी है, लेकिन वो हेल्थ एक्सपर्ट्स से पूछने आए हैं, क्योंकि उनसे बेहतर सुझाव मिलेंगे। जैसे उनसे राजनीति पर सवाल पूछें, तो वे ज्यादा अच्छा बता सकते हैं। राहुल यह भी बोले, भाजपा और कांग्रेस में फर्क है। कांग्रेस जनता की आवाज और उनसे सुझाव लेकर काम करना चाहती है।

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