Friday, 18 October 2024

 
 
पंचायत तंत्र - वेबडेस्क।  भले ही आज सचिन तेंदुलकर को क्रिकेट का भगवान कहा जाता हो, लेकिन इस मुकाम तक पहुंचने के लिए उन्हें भी काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा है. एक समय सचिन के जीवन में ऐसा भी आया, जब उन्हें ये लगने लगा कि वो इंटरनेशनल क्रिकेट खेलने के काबिल ही नहीं हैं. तब उनकी मदद टीम इंडिया के मौजूदा कोच रवि शास्त्री ने की. शास्त्री ने उस मुश्किल समय में सचिन तेंदुलकर का साथ दिया और उनकी मदद की. इस बात का खुलासा खुद सचिन ने किया है ।
सचिन का टेस्ट डेब्यू 1989 में पाकिस्तान के खिलाफ हुआ. अपने पहले ही मैच में सचिन को इमरान खान, वसीम अकरम और वकार यूनिस जैसे दिग्गज गेंदबाजों का सामना करना पड़ा. पहले टेस्ट में सचिन के लिए कुछ ठीक नहीं रहा. सचिन को लगा कि पहला टेस्ट मैच ही उनके जीवन का आखिरी टेस्ट मैच बन जाएगा, लेकिन फिर रवि शास्त्री ने उनकी मदद की. इसके बाद सबकुछ बदल गया और फिर मास्टर ब्लास्टर ने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा ।
सचिन ने एक टीवी चैनल से बातचीत में कहा, ”मुझे यह मानना पड़ेगा कि मैंने पहला टेस्ट मैच ऐसे खेला, जैसे कि मानो मैं स्कूल मैच खेल रहा था. इमरान, वसीम और वकार तेजी से गेंदबाजी कर रहे थे और वो मुझे छोटी गेंदों से डरा रहे थे. मैंने ऐसा कुछ पहले कभी नहीं महसूस किया था, इसलिए पहला मैच सुखद नहीं था. उनकी गति और बाउंस से मैं मात खा गया और आखिरकार मैं 15 रन पर आउट हो गया. ऐसा लगा कि यह मेरा पहला और आखिरी मैच था. मैं बहुत उदास था ।
जब निकलने वाले थैसचिन के आंसू
इसके आगे तेंदुलकर ने कहा, ”मैं ऐसे सोच रहा था कि तुमने क्या किया, तुमने ऐसा क्यों खेला और जब मैं ड्रेसिंग रूम में पहुंचा तो मैं सीधे बाथरूम में गया और मेरे आंसू निकलने ही वाले थे. मुझे लगा कि मैं बिलकुल अच्छा नहीं था. मैंने खुद से सवाल किए और कहा कि ऐसा लगता है कि यह पहला और अंतिम मुकाबला होगा. मुझे लगा कि मैं इस स्तर पर खेलने के लिये अच्छा नहीं हूं. मैं निराश और हताश था ।
शास्त्री के मंत्र ने बदली ज़िंदगी
तेंदुलकर की परेशानी उनके सीनियर खिलाड़ी भांप गए थे और फिर शास्त्री ने उनसे बात की. शास्त्री ने उन्हें एक ऐसा सुझाव दिया जिसके बाद सचिन की लाइफ पूरी तरह से बदल गई. सचिन ने कहा, ”टीम के साथियों को यह एहसास हुआ. मुझे अभी भी शास्त्री के साथ हुई बातचीत याद है. उन्होंने मुझसे कहा कि आपने ऐसा खेला जैसे कि यह एक स्कूल मैच हो. आपको याद रखना होगा कि आप सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजों के खिलाफ खेल रहे हो. आपको उनकी क्षमता और उनके कौशल का सम्मान करने की जरूरत है ।
सचिन ने कहा, ”तब मैंने रवि से कहा कि मैं पाकिस्तानी गेंदबाजों की गति से मात खा जाता हूं. उन्होंने मुझसे कहा कि ऐसा होता है और आपको घराबने की जरूरत नहीं है. आपको बस आधे घंटे क्रीज पर बिताने की जरूरत है और तब आप उनकी गति के साथ तालमेल बिठा पाएंगे और सबकुछ सही हो जाएगा ।
काम आई शास्त्री की सलाह
शास्त्री की ये सलाह न सिर्फ अगले मैच में सचिन के काम आई, बल्कि पूरे करियर के दौरान उन्होंने इस फॉर्मूले को अपनाया. इसके बाद अपने दूसरे टेस्ट मैच में सचिन ने 59 रनों का पारी खेली थी. ये टेस्ट मैच फैसलाबाद में खेला गया था. सचिन ने 22 गज़ की पट्टी पर 24 साल तक क्रिकेट खेला और उनके नाम इंटरनेशनल क्रिकेट में सबसे ज़्यादा 100 शतक लगाने का रिकॉर्ड है ।
अगर शास्त्री सचिन को वो सलाह न देते तो शायद तेंदुलकर इतने बड़े बल्लेबाज़ न बन पाते. क्योंकि इंटरनेशनल क्रिकेट में शुरूआत ही काफी मुश्किल होती है, लेकिन जब एक बार खिलाड़ी सेट हो जाता है तो फिर वो अच्छा प्रदर्शन करते हुए अपनी टीम को जीत दिलाता है और ऐसा ही सचिन के साथ भी हुआ ।

 
मल्टीमीडिया डेस्क। भारतीय ओपनर रोहित शर्मा के लिए मैनचेस्टर में क्रिकेट वर्ल्ड कप में पाकिस्तान के खिलाफ मैच यादगार बन गया। रोहित ने इस मैच में शानदार अर्द्धशतक जड़ा। उन्होंने अपने इंटरनेशनल वनडे करियर में पहली बार लगातार पांचवीं फिफ्टी लगाई।
रोहित ने वर्ल्ड कप के इस महामुकाबले में 34 गेंदों में 6 चौकों और 2 छक्कों की मदद से फिफ्टी लगाई। उन्होंने शादाब खान की गेंद पर चौका लगाकर फिफ्टी पूरी की। उन्होंने अपने 209 इंटरनेशनल वनडे मैचों के करियर में पहली बार लगातार पांच मैचों में फिफ्टी प्लस (50 से ज्यादा रन) स्कोर बनाया।
उन्होंने इस शानदार सफर की शुरुआत 10 मार्च 2019 को मोहाली में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 95 रन बनाकर की थी। उन्होंने इसके बाद दिल्ली में 13 मार्च को 56 रन बनाए। रोहित ने वर्तमान वर्ल्ड कप में साउथम्पटन में द. अफ्रीका के खिलाफ नाबाद शतक (122) जड़ा। रोहित ने इसके बाद ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 57 रन बनाए। अब पाकिस्तान के खिलाफ फिफ्टी पूरी करते ही रोहित ने यह खास मुकाम हासिल कर लिया।
रोहित का पाक के खिलाफ शानदार प्रदर्शन
रोहित का यह पाकिस्तान के खिलाफ 17वां मैच है। उन्होंने पाक के खिलाफ 1 शतक और 7 अर्द्धशतक लगाए हैं। इस मैच से पहले उन्होंने पाक के खिलाफ 16 मैचों में 45.69 की औसत से 594 रन बनाए थे।

 
मुंबई । इंग्लैंड में चल रहे क्रिकेट विश्वकप में विकेटकीपर महेंद्र सिंह धोनी कटार निशान वाले ग्लब्स पहने रह सकते हैं. आईसीसी की आपत्ति पर बीसीसीआई ने स्पष्टीकरण देते हुए निशान वाले ग्लब्स के लिए अनुमति मांगी है। 
बता दें कि दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ हुए भारत के शुरुआती मैच में विकेटकीपर धोनी ने अपने पैराशूट रेजीमेंट के निशान ‘कटार’ लगा हुआ ग्लब्स पहना था. इस पर आपत्ति जताते हुए आईसीसी ने बीसीसीआई से इस निशान को हटाने कहा था. मामले में बीसीसीआई के प्रशासकों की समिति (CoA) के प्रमुख विनोद राय ने शुक्रवार को कहा कि बीसीसीआई ने औपचारिक तौर पर आईसीसी को पत्र लिखा है. आईसीसी के नियमों के मुताबिक, खिलाड़ी कोई व्यावसायिक, धार्मिक या सैन्य प्रतीक चिन्ह धारण नहीं कर सकते. जहां तक हम समझ रहे हैं कि इस मामले में कहीं व्यावसायिक या धार्मिक वाली बात नहीं है. धोनी के ग्लब्स में पैरामिलेट्री रेजीमेंट का निशान भी नहीं खुदा है. इस लिहाज से धोनी आईसीसी के नियमों का उल्लंघन नहीं कर रहे हैं। 
विनोद राय का यह स्पष्टीकरण इस लिहाज से भी सही है क्योंकि पैराशूट रेजीमेंट के निशान में कटार के साथ बलिदान शब्द लिखा है, जबकि धोनी ने जो ग्लब्स पहना हुआ था उसमें केवल कटार का निशान है. लेकिन आईसीसी अगर नियमों के मुताबिक चले तो बीसीसीआई का यह तर्क अगले मैच में काम नहीं आएगा. इस पर जब राय से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मेरी समझ में आईसीसी ने आग्रह किया है, निर्देश नहीं दिया है. वैसे भी बीसीसीआई सीईओ राहुल जौहरी आस्ट्रेलिया के खिलाफ होने वाले मैच से पहले इंग्लैंड जा रहा है, और आईसीसी के वरिष्ठ अधिकारियों से चर्चा करेंगे। 

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