रायपुर। गर्मी शुरू होते ही पानी की किल्लत शुरू हो जाती है। एशिया की सबसे बड़ी मानव निर्मित जंगल सफारी में भी पानी की कमी हो गई है। गर्मी में पानी की खपत अमूमन डेढ़ गुना हो जाती है। यहां दरियाई घोड़ा तालाब, जू क्षेत्र आटर तालाब, घड़ियाल तालाब, वन भैंसा प्रजनन केन्द्र तालाब में पानी की आवश्यकता है। पर्यटकों की बोटिंग के लिए बनाई गई झील में भी पानी की कमी हो गई है। जंगल सफारी प्रबंधन ने सिंचाई विभाग को पत्र लिखकर जल्द पानी उपलब्ध कराने की मांग की है। पत्र 28 मार्च को लिखा गया, लेकिन अभी तक व्यवस्था नहीं हुई है। सिंचाई विभाग ने जल्द पानी उपलब्ध नहीं कराया तो वन्यजीवों को दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। सफारी प्रबंधन का कहना है कि वन्यजीवों के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी की व्यवस्था है।
राजधानी से करीब 25 किलोमीटर दूरी पर स्थित नया रायपुर में 800 एकड़ में जंगल सफारी का निर्माण किया गया है। जंगल सफारी में 33 बाड़ों का निर्माण कार्य किया जाना है, लेकिन अब तक सिर्फ 10 बाड़े ही बनाए जा सके हैं। 23 बाड़ों का निर्माण बाकी है। जो 10 बाड़े बनाए गए हैं उनमें टाइगर, लायन, व्हाइट टाइगर, तेंदुआ, कछुआ, दरियाई घोड़ा, घड़ियाल, हिमालयन भालू, गोह, हिरण, वन भैंसा आदि को रखा गया है।
जंगल सफारी में प्राकृतिक सौंदर्य के साथ खुले में बाघ, शेर को देखने वालों की तादाद बढ़ी है। पहले की अपेक्षा गर्मी में पर्यटकों की संख्या बढ़ी है। एक दिन में करीब 400 पर्यटक पहुंच रहे हैं। सफारी के अधिकारी ने बताया कि छुट्टी के दिन ढाई हजार से अधिक पर्यटक आ रहे हैं। वन्यजीवों को गर्मी से बचाने के लिए उनके बाड़े में पानी की व्यवस्था की गई है। खुले में घूमने वाले वन्यजीवों के लिए जगह-जगह टब में पानी रखा गया है। वे उसमें नहा भी सकते हैं
जंगल सफारी में जलसंकट का खामियाजा पर्यटकों को भुगतना पड़ सकता है। सफारी में पब्लिक के मनोरंजन के लिए पार्क के एक हिस्से को झील की तरह विकसित किया है। यहां दो बोट रखी गई हैं, जिसमें घूमकर पर्यटक गोवा और दूसरे समुद्र तट जैसा महसूस कर सकते हैं। झील में पानी कम हो गया है इसके चलते पर्यटक महज 15 मई तक ही बोटिंग का लुत्फ उठा सकेंगे। पानी की व्यवस्था नहीं हुई तो उन्हें मायूस लौटना पड़ सकता है।