Thursday, 31 July 2025

रायपुर। राज्य में मनरेगा मजदूरों को 346.66 करोड़ रुपये का भुगतान लंबित है। 79 करोड़ सामग्री का भुगतान लंबित है। पंचायत मंत्री टीएस सिंहदेव ने सदन में विधायक केशव चंद्रा के सवाल के जवाब में जानकारी दी। चंद्रा ने पूछा कि 41 लाख मजदूरों ने काम किया है। उनकी रोजी रोटी से जुड़ा सवाल है?
केंद्र से जो राशि नहीं आई है उसे लाने के लिए राज्य सरकार ने क्या प्रयास किया? सिंहदेव ने कहा-मजदूरों को जो भुगतान होता है, वह सीधे केंद्र के जरिये मजदूरों के खाते में जाता है। लिंकेज की वजह से भुगतान में देरी हो रही है। केंद्र से भी बात कर रहे हैं कि राशि जल्द उपलब्ध करा दें।
सिंहदेव ने कहा कि हमने दो बार पत्र लिखा है। हमारे प्रतिनिधि भी सचिवालय जाकर राशि जल्द जारी करने के लिए प्रयासरत हैं। चंद्रा ने कहा कि छत्तीसगढ़ में बड़ी तादाद में पलायन हो रहा है। इसकी वजह है कि लोगों को काम नहीं मिल रहा है। राज्य में मनरेगा में डेढ़ सौ दिन रोजगार देने का प्रावधान है।
सिंहदेव ने कहा कि मनरेगा डिमांड आधारित काम है। जहां-जहां डिमांड आएगी, काम खोलकर सरकार का प्रयास होगा कि तय 150 दिन का रोजगार दे। चंद्रा ने सवाल किया कि मजदूरी भुगतान पर ब्याज का प्रावधान है।
इस पर मंत्री ने कहा कि मनरेगा कानून के तहत ब्याज का प्रावधान नहीं है। सरकार भुगतान के लिए संवेदनशील है। इस पर चंद्रा ने कहा कि संवेदनशीलता से गरीब के घर का चूल्हा नहीं जलता है। विधानसभा अध्यक्ष डॉ चरणदास महंत ने कहा कि मंत्री संवेदनशील हैं, वो चूल्हा भी जलाएंगे।

रायपुर । छत्तीसगढ़ के निजी और सरकारी स्कूलों के बच्चों ने छत्तीसगढ़ पाठ्यपुस्तक निगम की ओर से प्रकाशित 11वीं-12वीं की पुस्तकों को नकार दिया है। किताबें सस्ती होने के बाद भी वे नहीं खरीद रहे हैं। बताया जाता है कि निगम बच्चों को किताबें उपलब्ध ही नहीं करा पा रहा है11वीं में 31 विषयों में और 12वीं में 13 विषयों में एनसीईआरटी की किताबें पढ़ाई जा रही हैं।
पिछले साल 11वीं की किताबें नहीं बिकने के कारण पाठ्यपुस्तक निगम ने कुछ किताबों को नहीं छापने का निर्णय लिया था । इसके बाद भी किताबें नहीं बिकीं। 11वीं- 12वीं का सत्र बीतने को है और करोड़ों की किताबें बुक डिपो में डंप हैं। आने वाले सत्र में अगर एनसीईआरटी की किताबें बदल गईं तो ये किताबें रद्दी के भाव बिकेंगी।
किताबें नहीं बिकने के बता रहे कई कारण
शिक्षकों का कहना है कि एनसीईआरटी की किताबें बच्चों को समझ में नहीं आ रही हैं। दूसरी इनकी क्वालिटी उतनी अच्छी नहीं है, जितनी निजी प्रकाशकों की किताबों की है। सरकारी तंत्र का कहना है कि कमीशन के खेल में निगम की किताबें पिछड़ रही हैं। कुछ प्रकाशक और बुक सेलर की मिलीभगत से किताबें बच्चों तक नहीं पहुंच पा रही हैं और वे मजबूरी में महंगी किताबें खरीद रहे हैं।
एक लाख विद्यार्थी, पुस्तक बिकी सिर्फ 5 हजार
11वीं-12वीं में पांच लाख से अधिक विद्यार्थी हैं।अकेले 11वीं में ही साइंस स्ट्रीम के एक लाख विद्यार्थी हैं। पिछले साल की बची 11वीं की रसायन भाग एक की कुल 43 हजार 832 किताबों में से सिर्फ 5 हजार 137 किताबें ही बिक पाईं। रसायन भाग दो की 43 हजार 684 किताबों में से सिर्फ 4 हजार 576 बिकीं।
पिछले साल से ही किताबों के प्रति बच्चों का रुझान कमजोर होने के कारण पाठ्यपुस्तक निगम ने 11वीं में सिर्फ हिन्दी, अंग्रेजी की किताबें ही प्रकाशित की।
पिछले साल की किताबें अभी तक नहीं बिक पाई हैं। ऐसे में घाटे से बचने के लिए पाठ्य पुस्तक निगम ने निर्णय लिया है कि लोक शिक्षण संचालनालय के मार्फत स्कूलों से आने वाली डिमांड पर ही किताबें छापी जाएंगी।
पिछले साल 11वीं में एनसीईआरटी के 13 विषय लागू किए गए थे। ये सभी किताबें पाठ्यपुस्तक निगम ने प्रकाशित की थीं, लेकिन बच्चों ने ज्यादातर विषयों की किताबें नहीं खरीदी। निजी प्रकाशकों की किताबों की अधिक डिमांड रही। 11वीं में इस साल पुरानी 13 किताबों समेत नई 18 किताबों को मिलाकर कुल 31 विषय एनसीईआरटी के लागू हैं। 12वीं में 13 विषय एनसीईआरटी के लागू हैं।
 किताबों के बिक्री नहीं होने की वजह को तलाशेंगे इसके बाद रणनीति तय की जाएगी कि अधिक से अधिक बच्चों को एनसीईआरटी की किताबें मिल सके। हमने ऑनलाइन किताबें लेने का सिस्टम भी रखा है। - एस प्रकाश, प्रबंधक, पाठ्यपुस्तक निगम
 बच्चों का मानना है कि सरकारी किताबों में गलतियां अधिक रहती हैं। पेपर भी ठीक नहीं रहता है। किताबें समय पर मिल भी नहीं पातीं। कई कारणों की वजह से वे निजी प्रकाशकों की किताबें ही खरीद रहे हैं। - बीडी द्विवेदी, शिक्षाविद एवं अध्यक्ष फेडरेशन ऑफ एजुकेशनल सोसायटीज

रायपुर । उच्च शिक्षा में आउट सोर्सिंग के मुद्दे पर विपक्ष ने मंत्री उमेश पटेल को घेरा। विधायक इंदु बंजारे ने सवाल किया कि प्राध्यापकों के 595 पद स्वीकृत है और इतने ही पद रिक्त हैं। सरकार ने इन पदों को भरने पहल क्यों नहीं की इस पर मंत्री उमेश पटेल ने कहा कि यह मेरी जानकारी में नहीं है। हमने पदों को भरने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
सरकार ने आउटसोर्सिंग बंद करने का नीतिगत फैसला लिया है। इस पर विधायक अजय चंद्राकर ने पूछा- मंत्री यह बताएं कि उच्च शिक्षा में आउटसोर्सिंग से कौन-कौन से पद भरे गये। मंत्री के जवाब से संतुष्ट नहीं होने पर विपक्ष ने सदस्यों ने जमकर हंगामा किया।
अजय चंद्राकर ने पूछा कि गैर पीएससी के पोस्ट की नियुक्ति कब तक होगी पिछली सरकार ने कौन-कौन से पद में आउटसोर्सिंग की थी इस पर विधानसभा अध्यक्ष डॉ चरणदास महंत ने कहा, यह तो लम्बी लिस्ट होगी। मंत्री आपको निकलवाकर दे देंगे।
विधायक शिवरतन शर्मा ने कहा कि आउटसोर्सिंग के नाम पर राजनीति होती रही है। मंत्री बताये कि कितने पदों पर की गई आउटसोर्सिंग के नाम पर पिछली सरकार को बदनाम करने की साजिश रची गई। इस पर विधायक अमरजीत भगत ने कहा कि पिछली पूरी सरकार ही आउटसोर्सिंग वाली थी ।
जवाब नहीं आने पर नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि पॉइंटेड सवाल है, लेकिन मंत्री जवाब नहीं दे पा रहे है। उनका जवाब आना चाहिए। प्रश्नकाल में जवाब नहीं आएगा, तो सदस्यों को कब जवाब मिलेगा।
भर्ती में स्थानीय लोगों को फायदा देने बढ़ाई गई उम्र सीमा
विधायक अजीत जोगी ने पूछा कि सीधी भर्तियों में कोई ऐसा प्रावधान है कि हमारे ही प्रदेश के लोग ही इसमें भाग ले सकेंगे विज्ञापन देकर लगता है कि बाहरी राज्यों के लोग भी इस भर्ती में शामिल हो सकते हैं। उमेश पटेल ने कहा कि सामान्य ज्ञान का सिलेबस सिर्फ छत्तीसगढ़ी पर आधारित है।
इसका फायदा राज्य को मिलेगा। जोगी ने कहा इससे कोई बड़ा फायदा नहीं होगा। मध्यप्रदेश सरकार ने नियम बनाया है कि किसी भी भर्ती में 70 फीसदी पद राज्य के लोगों के लिए होगा क्या ऐसी व्यवस्था यहां भी होगी? इसके जवाब में उमेश पटेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ के प्रतिभागियों को आयु सीमा में छूट दी गई है। बहुत से पद खाली रह जाते है, इसलिए बाहरी प्रतिभागियों को भी शामिल किया जाता है।

रायपुर. विधानसभा सत्र के आज आठवें दिन स्वास्थ्य विभाग के अनुदान मांगों पर चर्चा के दौरान नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने सरकार पर कई आरोप लगाये. कौशिक ने कहा कि स्वास्थ विभाग के बजट में ही कटौती कर दी गई है. इससे विभाग के प्रति गंभीरता का अंदाजा लगाया जा सकता है. हजारों की संख्या में पद रिक्त है. उसे भरने की दिशा में कोई कारगर पहल नजर नहीं आता.
आप भवन बना सकते हैं पर बगैर डाक्टरों की उसकी कोई उपयोगिता नहीं है. सभी को त्रिवर्षीय पाठ्यक्रम के भरोसे छोड़ दिया गया है. एक ब्लाॅक में 8-10 स्वास्थ्य केंद्र हैं, इसे बढ़ाने की आवश्यकता है. उपकरणों को भी बढ़ाने की भी जरूरत है.
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में एक्सरे ब्लड टेस्ट की सुविधाएं उपलब्ध होनी चाहिए. अस्पतालों के परिसरों में ही जांच की सुविधा उपलब्ध कराए जाने की आवश्यकता है. इससे मरीजों को राहत मिलेगी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों को हम जितना मदद करेंगे उससे मरीजों को समुचित उपचार मिलेगा. सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को मजबूत करने की आवश्यकता है इस से आने वाले समय में जिला और बड़े अस्पतालों को राहत मिलेगी.
आयुष्मान योजना को बंद करने के बात हो रही है और छत्तीसगढ़ से लेकर पूरे देश में ऐसे गरीब परिवार जो आर्थिक रूप से सक्षम नहीं है जिन्हें आवश्यकता पड़ने पर ऑपरेशन कराना पड़े ऐसे गरीब लोगों को इसमें शामिल किया गया था. इस प्रदेश में भी 4000000 परिवार समाहित होने की संभावना रखते थे. जिन्हें इस योजना का लाभ मिलता पर इसको बंद करना चाहते हैं. उससे बेहतर योजना उपलब्ध कराने की आवश्यकता है. इसे बंद करने को लेकर भ्रम की स्थिति निर्मित हो गई है स्मार्ट कार्ड में ₹50000 तक जो इलाज कराते थे वह अब प्रभावित हो रहे हैं.
बता दें कि इससे पहले विधानसभा में स्वास्थ्य पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की चर्चा के दौरान कोई भी मंत्री मौजूद नहीं था. इसलिए विपक्ष ने विधानसभा अध्यक्ष से सदन स्थगित करने का आग्रह किया. जिस पर विधानसभा अध्यक्ष ने 5 मिनट के लिए सदन की कार्रवाई स्थगित की. विपक्ष ने आरोप लगाते हुए कहा कि सत्तापक्ष के सदस्य विधानसभा को लेकर गंभीर नहीं हैं. सदन की कार्रवाई 5 मिनट बाद फिर प्रारंभ हुई. आधा दर्जन मंत्री सदन में पहुंचे.

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