Monday, 23 December 2024

रायपुर । छत्तीसगढ़ भाजपा के ट्वीट पर पलटवार करते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि ''जब उनके प्रिय अधिकारी कल्लूरी को पदस्थ किया तो भी बदलापुर कह रहे थे अगर अधिकारियों के ट्रांसफर को सजा मानते हैं...तो इनकी सोच पर मुझे तरस आता है''।
 बता दें आज सुबह छत्तीसगढ़ भाजपा ने मंगलवार को हुए 21 निरीक्षकों के तबादले को 'बदलापुर नरेश का एक और कारनामा!' का नाम देते हुए ट्वीट किया था। जिसमें कहा था 'बदलापुर नरेश का एक और कारनामा!... अब सीडीकांड की जांच कर रहे निरीक्षकों पर भी गिरायी गाज़...पहले डर कर सीबीआई को प्रदेश से बैन कर दिया अब @bhupeshbaghel बाबा सीडीकांड की जांच में लगे पुलिस वालों को भी हटाने में लगे हैं।...इतना डर किस बात का है भई!'
उसी का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पलटवार करते हुए कहा कि  ''जब उनके प्रिय अधिकारी कल्लूरी को पदस्थ किया तो भी बदलापुर कह रहे थे...अगर अधिकारियों के ट्रांसफर को सजा मानते हैं...तो इनकी सोच पर मुझे तरस आता है''।
गौरतलब है पुलिस मुख्यालय से मंगलवार देर शाम 21 टीआई के तबादले आदेश जारी किए गए हैं। बता दें, जारी आदेश में सईद अख्तर को बालोद से बेमेतरा भेजा गया है, वहीं राजेश कुमार झा को राजनांदगांव से दुर्ग भेजा गया है, जबकि प्रभु प्रकाश लकड़ा को बिलासपुर से मुंगेली भेजा गया है। मोती लाल शर्मा को बिलासपुर से जांजगीर भेजा गया है। डीजीपी डीएम अवस्थी ने यह आदेश जारी किया है।

रायपुर । सराईपाली से रायपुर की ओर जा रही एक यात्री बस की बुधवार को एक ट्रक से जोरदार भिड़ंत हो गई, जिसमें दो लोगों की घटनास्थल पर ही मौत हो गई, जबकि कई यात्री बुरी तरह से घायल हो गए हैं।
स्थानीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बस में करीब 35 यात्री सवार थे। सभी घायलों को आरंग के अस्पताल में भर्ती कराया गया है। राहत कार्य के लिए पुलिस की टीम घटनास्थल पर पहुंच चुकी है।

रायपुर। राज्य में मनरेगा मजदूरों को 346.66 करोड़ रुपये का भुगतान लंबित है। 79 करोड़ सामग्री का भुगतान लंबित है। पंचायत मंत्री टीएस सिंहदेव ने सदन में विधायक केशव चंद्रा के सवाल के जवाब में जानकारी दी। चंद्रा ने पूछा कि 41 लाख मजदूरों ने काम किया है। उनकी रोजी रोटी से जुड़ा सवाल है?
केंद्र से जो राशि नहीं आई है उसे लाने के लिए राज्य सरकार ने क्या प्रयास किया? सिंहदेव ने कहा-मजदूरों को जो भुगतान होता है, वह सीधे केंद्र के जरिये मजदूरों के खाते में जाता है। लिंकेज की वजह से भुगतान में देरी हो रही है। केंद्र से भी बात कर रहे हैं कि राशि जल्द उपलब्ध करा दें।
सिंहदेव ने कहा कि हमने दो बार पत्र लिखा है। हमारे प्रतिनिधि भी सचिवालय जाकर राशि जल्द जारी करने के लिए प्रयासरत हैं। चंद्रा ने कहा कि छत्तीसगढ़ में बड़ी तादाद में पलायन हो रहा है। इसकी वजह है कि लोगों को काम नहीं मिल रहा है। राज्य में मनरेगा में डेढ़ सौ दिन रोजगार देने का प्रावधान है।
सिंहदेव ने कहा कि मनरेगा डिमांड आधारित काम है। जहां-जहां डिमांड आएगी, काम खोलकर सरकार का प्रयास होगा कि तय 150 दिन का रोजगार दे। चंद्रा ने सवाल किया कि मजदूरी भुगतान पर ब्याज का प्रावधान है।
इस पर मंत्री ने कहा कि मनरेगा कानून के तहत ब्याज का प्रावधान नहीं है। सरकार भुगतान के लिए संवेदनशील है। इस पर चंद्रा ने कहा कि संवेदनशीलता से गरीब के घर का चूल्हा नहीं जलता है। विधानसभा अध्यक्ष डॉ चरणदास महंत ने कहा कि मंत्री संवेदनशील हैं, वो चूल्हा भी जलाएंगे।

रायपुर । छत्तीसगढ़ के निजी और सरकारी स्कूलों के बच्चों ने छत्तीसगढ़ पाठ्यपुस्तक निगम की ओर से प्रकाशित 11वीं-12वीं की पुस्तकों को नकार दिया है। किताबें सस्ती होने के बाद भी वे नहीं खरीद रहे हैं। बताया जाता है कि निगम बच्चों को किताबें उपलब्ध ही नहीं करा पा रहा है11वीं में 31 विषयों में और 12वीं में 13 विषयों में एनसीईआरटी की किताबें पढ़ाई जा रही हैं।
पिछले साल 11वीं की किताबें नहीं बिकने के कारण पाठ्यपुस्तक निगम ने कुछ किताबों को नहीं छापने का निर्णय लिया था । इसके बाद भी किताबें नहीं बिकीं। 11वीं- 12वीं का सत्र बीतने को है और करोड़ों की किताबें बुक डिपो में डंप हैं। आने वाले सत्र में अगर एनसीईआरटी की किताबें बदल गईं तो ये किताबें रद्दी के भाव बिकेंगी।
किताबें नहीं बिकने के बता रहे कई कारण
शिक्षकों का कहना है कि एनसीईआरटी की किताबें बच्चों को समझ में नहीं आ रही हैं। दूसरी इनकी क्वालिटी उतनी अच्छी नहीं है, जितनी निजी प्रकाशकों की किताबों की है। सरकारी तंत्र का कहना है कि कमीशन के खेल में निगम की किताबें पिछड़ रही हैं। कुछ प्रकाशक और बुक सेलर की मिलीभगत से किताबें बच्चों तक नहीं पहुंच पा रही हैं और वे मजबूरी में महंगी किताबें खरीद रहे हैं।
एक लाख विद्यार्थी, पुस्तक बिकी सिर्फ 5 हजार
11वीं-12वीं में पांच लाख से अधिक विद्यार्थी हैं।अकेले 11वीं में ही साइंस स्ट्रीम के एक लाख विद्यार्थी हैं। पिछले साल की बची 11वीं की रसायन भाग एक की कुल 43 हजार 832 किताबों में से सिर्फ 5 हजार 137 किताबें ही बिक पाईं। रसायन भाग दो की 43 हजार 684 किताबों में से सिर्फ 4 हजार 576 बिकीं।
पिछले साल से ही किताबों के प्रति बच्चों का रुझान कमजोर होने के कारण पाठ्यपुस्तक निगम ने 11वीं में सिर्फ हिन्दी, अंग्रेजी की किताबें ही प्रकाशित की।
पिछले साल की किताबें अभी तक नहीं बिक पाई हैं। ऐसे में घाटे से बचने के लिए पाठ्य पुस्तक निगम ने निर्णय लिया है कि लोक शिक्षण संचालनालय के मार्फत स्कूलों से आने वाली डिमांड पर ही किताबें छापी जाएंगी।
पिछले साल 11वीं में एनसीईआरटी के 13 विषय लागू किए गए थे। ये सभी किताबें पाठ्यपुस्तक निगम ने प्रकाशित की थीं, लेकिन बच्चों ने ज्यादातर विषयों की किताबें नहीं खरीदी। निजी प्रकाशकों की किताबों की अधिक डिमांड रही। 11वीं में इस साल पुरानी 13 किताबों समेत नई 18 किताबों को मिलाकर कुल 31 विषय एनसीईआरटी के लागू हैं। 12वीं में 13 विषय एनसीईआरटी के लागू हैं।
 किताबों के बिक्री नहीं होने की वजह को तलाशेंगे इसके बाद रणनीति तय की जाएगी कि अधिक से अधिक बच्चों को एनसीईआरटी की किताबें मिल सके। हमने ऑनलाइन किताबें लेने का सिस्टम भी रखा है। - एस प्रकाश, प्रबंधक, पाठ्यपुस्तक निगम
 बच्चों का मानना है कि सरकारी किताबों में गलतियां अधिक रहती हैं। पेपर भी ठीक नहीं रहता है। किताबें समय पर मिल भी नहीं पातीं। कई कारणों की वजह से वे निजी प्रकाशकों की किताबें ही खरीद रहे हैं। - बीडी द्विवेदी, शिक्षाविद एवं अध्यक्ष फेडरेशन ऑफ एजुकेशनल सोसायटीज

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