Thursday, 31 July 2025

रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार पहली से पांचवीं तक सरकारी स्कूलों के बच्चों को अब न सिर्फ किताबें, बल्कि निजी स्कूलों की तर्ज पर सरकारी नोटबुक (कॉपियां) भी देगी। छत्तीसगढ़ पाठ्यपुस्तक निगम के प्रॉफिट फंड से कार्पोरेट सोशल रिस्पांसबिलिटी के तौर पर 22 लाख बच्चों के लिए नोटबुक तैयार कराई जा रही है। अधिकारियों का कहना है कि सरकारी स्कूल में ज्यादातर बीपीएल परिवार के बच्चे पढ़ते हैं। उनके लिए किताबें तो मुफ्त में मिल जाती हैं पर कॉपियां नहीं मिलतीं। ऐसे बच्चों के लिए यह योजना वरदान साबित होगी।
सीखने और सिखाने का पैमाना पहले ही तय
सरकारी स्कूलों में बच्चों के पढ़ने-पढ़ाने और सिखाने का पैमाना सरकार ने पहले ही फिक्स कर दिया है। इसके मुताबिक पहली के बच्चे को कम से कम गणित में 20 तक गिनती और जोड़, घटाने की प्रक्रिया आनी चाहिए। 20 तक गिनती के बीच में वह कौन बड़ी संख्या और कौन छोटी संख्या है, यह तय कर पा रहा है तो उसका लर्निंग आउटकम ठीक है। 01 से 20 तक गिनती सीखना पर्याप्त है। इसी तरह कक्षा दूसरी के बच्चे को 99 तक गिनती लिखना, पढ़ना आना चाहिए , साथ ही रुपए, सिक्के, शेप्स की जानकारी हो जाए तो उसे अधिक पढ़ाने की जरूरत नहीं होगी। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने कक्षा और उम्र के आधार पर बच्चों में लिखने, पढ़ने, समझने और बोलने की क्षमता को परखने का आधार तय कर दिया है। उसके हिसाब से ही नोटबुक बनाई जा रही है।
ये मिलेगा फायदा
नोटबुक इस तरह से डिजाइन की गई है कि इसमें शिक्षक किसी एक कक्षा के विभिन्न् लर्निंग आउटकम पर काम करने के बाद उन पर अलग-अलग तरीके से अभ्यास करा सकेंगे। यह सामग्री इस प्रकार से तैयार की गई है कि शिक्षक किसी एक कक्षा के विभिन्न् लर्निंग आउटकम पर कार्य करने के बाद उन पर अलग-अलग तरीकों से अभ्यास कराएंगे।
नोटबुक डिजाइन के लिए सौंप चुके हैं काम
नोटबुक बनाने के लिए समग्र शिक्षा विभाग के सहायक संचालक डॉ. एम सुधीश को काम दिया गया है। वे बच्चों के पढ़ने-पढ़ाने और सिखाने के पैमाने पर ही नोटबुक की डिजाइन कर रहे हैं। डॉ. सुधीश प्रदेश में शिक्षा गुणवत्ता अभियान के लिए हर साल माड्यूल तैयार कर रहे हैं। इसके आलावा नवाचार शिक्षा पर भी फोकस करते हुए गुणवत्ता के लिए काम कर रहे हैं।
राज्य सरकार बच्चों के हित में काम करने के लिए हर तरह से तैयार है। इसी कड़ी में हमने अब पाठ्यपुस्तक निगम के प्रॉफिट फंड को शिक्षा की गुणवत्ता में खर्च करने का निर्णय लिया है। इससे सरकारी स्कूलों के बच्चों को बेहतर डिजाइन और लर्निंग आउटकम की नोटबुक मिलेगी। - एस प्रकाश, संचालक लोक शिक्षण संचालक एवं एमडी पाठ्यपुस्तक निगम

रायपुर । 1 और 2 मार्च से शुरु होने वाले छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल की 10वीं और 12वीं बोर्ड की परीक्षाओं को लेकर बड़ा फैसला लिया है। बोर्ड ने 10वीं-12वीं की उत्तर पुस्तिका में बदलाव करते हुए इस बार ओएमआर सिस्टम लागू करने का फैसला लिया है। किए गए बदलाव में सबसे बड़ी बात यह है कि अब परीक्षार्थियों को सप्लीमेंट्री कॉपी नहीं दी जाएगी, उन्हें ओएमआर शिट में दिए गए निर्धारित जगह में उत्तर लिखना होगा।
इस सिस्टम से परीक्षा किस तरह से दिलानी है इसके लिए माध्यमिक शिक्षा मंडल के सचिव प्रोफेसर वीके गोयल ने प्राचार्यों की बैठक ली और उन्हें आवश्यक दिशा निर्देश दिए। उन्होंने बताया कि ओएमआर सिस्टम की कॉपियों में परीक्षार्थियों को अलग से कोई कॉपी नहीं दी जाएगी निर्धारित पेज पर ही परीक्षार्थी अपना उत्तर दे सकेंगे। उन्होंने राज्य के विभिन्न जिलों से आए प्राचार्य की जिज्ञासा भी शांत की। शिक्षा मंडल ने परीक्षा की तैयारियों शुरू कर दी है।

रायपुर । छत्तीसगढ़ की कमान सौंपने के बाद से भूपेश सरकार लगातार अपने घोषणा पत्र में किए वादों को एक के बाद एक पूरा करने में लगी हुई है। इसी कड़ी में सरकार अपना एक और वादा पूरा करने पर विचार कर रही है, जिससे प्रदेश के सभी परिवार राशन कार्ड के दायरे में आ जाएंगे।
प्रदेश में सभी परिवारों को सस्ते में चावल मिले इसके लिए सरकार ने नया कदम उठाने जा रही है। बताया जा रहा है कि सरकार गरीबी रेखा से ऊपर रहने वाले परिवारों को 10 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से चावल देने का फैसला लेने जा रही है। ताकि प्रदेशभर की जनता को सस्ते दर पर चावल उपलब्ध कराया जा सके।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार अगर सरकार गरीबों को 1 रुपए और गरीबी रेखा से ऊपर वालों को 10 रुपए प्रति किलो चांवल देती है तो सरकार पर प्रतिवर्ष 4 हजार 800 करोड़ रुपए का अतिरक्ति भार पड़ेगा।

रायपुर। अमेरिका की बड़ी फॉर्मा कंपनी जॉनसन एंड जॉनसन के बनाए हिप रिप्लेसमेंट इंप्लांट पर बबाल मचा हुआ है। देशभर से मरीजों ने केंद्र सरकार को शिकायतें भेजी है कि इंप्लांट सर्जरी के बाद तकलीफ कम नहीं बल्कि और ज्यादा बढ़ गई है। शिकायतों पर केंद्र ने संज्ञान लिया और सभी राज्यों को निर्देशित किया कि वे राज्य स्तरीय कमेटी गठित करें। विशेषज्ञों की कमेटी मरीजों की जांच करेगी। अगर डिस-एबिलिटी (दिव्यांगता) पाई गई तो रिपोर्ट केंद्र को भेजी जाएगी। छत्तीसगढ़ में मेडिकल कॉलेज के विशेषज्ञों की कमेटी गठित की जा चुकी है। इसकी एक बैठक भी हो चुकी है। केंद्र ने 20 लाख से लेकर एक करोड़ रुपये तक का मुआवजा तय किया है।
प्रदेश के हड्डी रोग विशेषज्ञों  इन्होंने बताया कि 2006, 07, 08 में जब कंपनी ने अपना यह इंप्लांट मार्केट में लांच किया तो उस समय हिप रिप्लेसमेंट बड़ी संख्या में हुए। प्रदेश में इंप्लांट करवाने वालों की संख्या काफी अधिक हो सकती है। देश में करीब पांच हजार हिप इंप्लांट हुए थे। छत्तीसगढ़ खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग के नियंत्रण ने बकायदा पीड़ितों के लिए विज्ञापन जारी किया है, जहां वे शिकायत कर सकते हैं। गौरतलब है कि देश में दवाओं के निर्माण, बिक्री और डिस्ट्रीब्यूशन की नियामक ने जॉनसन एंड जॉनसन के एएसआर इंप्लांट का लाइसेंस 2012 में रद कर दिया था। सैकड़ों शिकायतों के बावजूद कंपनी के खिलाफ भारत सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया।
यहां करें शिकायत-
कार्यालय नियंत्रक, खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग, छत्तीसगढ़,
चतुर्थ तल, ब्लॉक 1, इंद्रावती भवन, अटल नगर, रायपुर- 0771-2235226
कंपनी ने भारत को रखा धोखे में
जॉनसन एंड जॉनसन ने भारतीय नियामक को इस बात की सूचना नहीं दी थी कि कंपनी के हिप इंप्लांट से ऑस्ट्रेलिया में कई मरीजों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। खुद अमेरिका में भी गड़बड़ियां पाई गईं। भारतीय नियामक ने लाइसेंस जारी कर दिया था। 2006 से 2010 तक कंपनी ने मरीजों को इंप्लांट में सब्सिडी दी, जिसे 2010 के अंत में बंद कर दिया गया था।
राज्य स्तरीय समिति-
डॉ. एसएन फुलझेले, प्रोफेसर, पं. जवाहरलाल नेहरू मेमोरियल मेडिकल कॉलेज रायपुर
डॉ. विनीत जैन, प्रोफेसर, पं. जवाहरलाल नेहरू मेमोरियल मेडिकल कॉलेज रायपुर
डॉ. विवेक पात्रे, प्रोफेसर, रेडियो डायग्नोसिस, पं. जवाहरलाल नेहरू मेमोरियल मेडिकल कॉलेज रायपुर
(नोट- समिति के सदस्यों से पं. जवाहरलाल नेहरू मेमोरियल मेडिकल कॉलेज में इनके विभागों में संपर्क किया जा सकता है। इनके मोबाइल नंबर पर भी। मो. नंबर राज्य शासन ने सार्वजनिक किए हैं ताकि मरीज सीधे भी पहुंच सके।)
देखिए, हिप रिप्लेसमेंट के बाद मरीजों में डिस-एबिलिटी (दिव्यांगता) आई होगी तो उनका परीक्षण किया जाएगा। उसकी रिपोर्ट राज्य शासन के माध्यम से केंद्र को भेजी जाएगी। मुझे याद है राज्य में इंप्लांट हुए हैं। - डॉ. एसएन फुलझले, अध्यक्ष, राज्य स्तरीय कमेटी
केंद्र सरकार के निर्देश पर कमेटी गठित कर दी गई है। शिकायत पर कमेटी जांच करेगी और फिर मुआवजे के लिए केंद्र को पत्र लिखा जाएगा। फिलहाल हमारे पास अभी तक कोई आवेदन प्राप्त नहीं हुआ है। सभी मरीजों को न्याय मिलेगा। - हिरेन पटेल, असिस्टेंट ड्रग कंट्रोलर, खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग

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