
रायपुर l कभी वीरान पड़ा था ये स्कूल.... दरवाजों पर ताले लटकते थे, कमरे धूल और सन्नाटे से भरे रहते थे। लेकिन आज वही ईरकभट्टी का प्राथमिक शाला बच्चों की चहचहाहट और पाठों की गूंज से फिर से जीवंत हो उठा है। अबुझमाड़ के इस सुदूर गांव में फिर से शिक्षा की लौ जल उठी है, जिसका श्रेय मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की सरकार द्वारा संचालित ‘नियद नेल्ला नार’ योजना और युक्तियुक्तकरण की पहल को जाता है।
बीते कुछ वर्षों में माओवादी गतिविधियों के चलते गांवों की रंगत फीकी पड़ गई थी। बच्चों के हाथों से किताबें छूट गई थीं, स्कूलों के आँगन सुनसान हो गए थे और मांदर की थाप भी खामोश हो गई थी। नारायणपुर जिले के ईरकभट्टी भी ऐसा ही एक गांव था, जहां लोग हर हाल में जीवन को संवारने की कोशिश करते थे, लेकिन शिक्षा जैसी बुनियादी जरूरत तक से वंचित थे। यहां के निवासी श्री रामसाय काकड़ाम कहते है कि पहले लगता था कि हमारे बच्चे शायद कभी स्कूल का नाम भी नहीं जान पाएंगे, लेकिन अब जब शिक्षकों की नियुक्ति हो गई है और स्कूल फिर से खुल गया है, तो लगता है मानो गाँव में फिर से जान लौट आई हो।
‘नियद नेल्ला नार’ यानी ‘आपका अच्छा गांव’ योजना ने ईरकभट्टी जैसे दूरदराज और संघर्षरत गांवों में एक नई उम्मीद जगाई है। सुरक्षा कैंपों के पांच किलोमीटर के दायरे में आने वाले गांवों में योजनाओं को प्रभावी तरीके से पहुँचाया जा रहा है। इसी क्रम में ईरकभट्टी में सड़क बनी, बिजली पहुंची और वर्षों से बंद पड़ा प्राथमिक स्कूल फिर से खुल गया। शासन के युक्तियुक्तकरण प्रयास से प्राथमिक शाला ईरकभट्टी में अब दो शिक्षक नियमित रूप से पदस्थ हैं। श्री अशोक भगत और श्रीमती लीला नेताम नामक शिक्षक यहां के बच्चों को पढ़ा रहे हैं। वे न केवल पठन-पाठन का कार्य कर रहे हैं, बल्कि अभिभावकों को भी प्रेरित कर रहे हैं कि वे अपने बच्चों को नियमित रूप से स्कूल भेजें।
शिक्षिका श्रीमती लीला नेताम बताती हैं कि पहले तो यहां डर लगता था, लेकिन बच्चों की मुस्कुराहट सब डर भुला देती है। ये बच्चे बहुत होशियार हैं, बस उन्हें अवसर की जरूरत थी। अब हम हर दिन उन्हें नया सिखाने का प्रयास करते हैं। अब स्कूल में दर्जन भर से अधिक बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं। छोटे-छोटे हाथों में किताबें हैं, और उन आंखों में भविष्य के सपने। पहले जो गांव स्कूल जाने के नाम से डरते थे, अब वहां लोग अपने बच्चों को कंधे पर बिठाकर स्कूल छोड़ने आते हैं।
गांव के बुजुर्ग मंगतु बाई की आंखों में आंसू हैं, लेकिन खुशी के। वे कहती हैं कि अब हमारी पोती भी पढ़-लिखकर अफसर बन सकती है। हमने कभी सोचा भी नहीं था कि ये दिन भी देखेंगे। ईरकभट्टी की कहानी सिर्फ एक गांव की नहीं, बल्कि उन हजारों गाँवों की है, जो कभी उपेक्षा और असुरक्षा के अंधेरे में डूबे हुए थे। लेकिन अब ‘नियद नेल्ला नार’ और युक्तियुक्तकरण जैसी योजनाएं उनके जीवन में उजाले की किरण लेकर आई हैं। शिक्षा की लौ फिर से जल चुकी है और यह लौ अब बुझने वाली नहीं।
रायपुर l देश में डीएपी खाद के आयात में कमी के चलते चालू खरीफ सीजन में राज्य में डीएपी की आपूर्ति प्रभावित होने का वैकल्पिक मार्ग छत्तीसगढ़ सरकार ने निकाल लिया है। किसानों को डीएपी खाद की किल्लत के चलते परेशान होने की जरूरत नहीं है। डीएपी के बदले किसानों को भरपूर मात्रा में इसके विकल्प के रूप में एनपीके और एसएसपी खाद की उपलब्धता सोसायटियों के माध्यम सुनिश्चित की जा रही है। डीएपी की कमी को पूरा करने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने एनपीके (20ः20ः013) और एनपीके (12ः32ः13) के वितरण लक्ष्य में 3.10 लाख मेट्रिक टन तथा एसएसपी के वितरण लक्ष्य में 1.80 लाख मेट्रिक टन की वृद्धि करने के साथ ही इसके भण्डारण एवं वितरण की भी पुख्ता व्यवस्था सुनिश्चित की है। एनपीके और एसएसपी के लक्ष्य में वृद्धि होने के कारण चालू खरीफ सीजन में विभिन्न प्रकार के रासायनिक उर्वरकों का वितरण लक्ष्य 14.62 लाख मेट्रिक टन से 17.18 लाख मेट्रिक टन हो गया है।
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने कहा है कि डीएपी खाद की कमी को लेकर किसानों को परेशान होने की जरूरत नहीं है। इसके विकल्प के रूप में छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा अन्य रासायनिक उर्वरक जैसे-एनपीके और एसएसपी की भरपूर व्यवस्था सुनिश्चित की गई है। इंदिरा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों और कृषि विभाग के अधिकारियों के सुझाव के अनुरूप किसान डीएपी के बदले उक्त उर्वरकों का प्रयोग कर बेहतर उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। सोसायटियों से किसानों को उनकी डिमांड के अनुसार खाद-बीज की उपलब्धता सुनिश्चित हो, इस पर कड़ी निगाह रखी जा रही है। किसानों की समस्याओं का समाधान सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है।
यहां यह उल्लेखनीय है कि चालू खरीफ सीजन में 14.62 लाख मेट्रिक टन उर्वरक वितरण का लक्ष्य कृषि विभाग द्वारा निर्धारित किया गया था, जिसमें यूरिया 7.12 लाख मेट्रिक टन, डीएपी 3.10 लाख मेट्रिक टन, एनपीके 1.80 लाख मेट्रिक टन, एमओपी 60 हजार मेट्रिक टन, एसएसपी 2 लाख मेट्रिक टन शामिल था। डीएपी के कमी को देखते हुए कृषि विभाग ने इस लक्ष्य को संशोधित किया है। डीएपी की आपूर्ति की कमी चलते इसके लक्ष्य को 3.10 लाख मेट्रिक टन से कमकर 1.03 लाख मेट्रिक टन किया गया है, जबकि एनपीके के 1.80 लाख मेट्रिक टन के लक्ष्य को बढ़ाकर 4.90 लाख मेट्रिक टन और एसएसपी के 2 लाख मेट्रिक टन को बढ़ाकर 3.53 लाख मेट्रिक टन कर दिया गया है। यूरिया और एमओपी के पूर्व निर्धारित लक्ष्य को यथावत् रखा गया है। इस संशोधित लक्ष्य के चलते रासायनिक उर्वरकों के वितरण की मात्रा 14.62 लाख मेट्रिक टन से बढ़कर अब 17.18 लाख मेट्रिक टन हो गई है।
कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि डीएपी की कमी को अन्य उर्वरकों के निर्धारित मात्रा का उपयोग कर पूरी की जा सकती है और फसल उत्पादन बेहतर किया जा सकता है। फसलों के लिए जरूरी पोषक तत्व जैसे नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश सहित मात्रा में मिले तो उपज में कोई कमी नहीं आती है। डीएपी की कमी को देखते हुए किसानों को अन्य फॉस्फेट खादों के उपयोग की सलाह दी है। डीएपी के प्रत्येक बोरी में 23 किलोग्राम फॉस्फोरस और 9 किलोग्राम नाइट्रोजन होता है। इसके विकल्प के रूप में तीन बोरी एसएसपी और एक बोरी यूरिया का उपयोग करने से पौधों को पर्याप्त मात्रा में फॉस्फोरस, कैल्सियम, नाइट्रोजन और सल्फर मिल जाता है। एसएसपी उर्वरक पौधों की वृद्धि के साथ-साथ जड़ों के विकास में भी सहायक है, इसके उपयोग से फसल की क्वालिटी और पैदावार बढ़ाने में मदद मिलती है। डीएपी की कमी को दूर करने के लिए किसान जैव उर्वरकों का भी उपयोग कर सकते हैं।
कृषि विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार खरीफ-2025 में किसानों को विभिन्न प्रकार के रासायनिक उर्वरकों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए 12.13 लाख मेट्रिक टन उर्वरकों का भण्डारण कराया गया है, जिसमें से 7.29 लाख मेट्रिक टन का वितरण किसानों को किया जा चुका है। राज्य में वर्तमान में सहकारी और निजी क्षेत्र में 4.84 लाख मेट्रिक टन खाद वितरण हेतु उपलब्ध है।
रायपुर l देशभर में जीएसटी राजस्व संग्रहण को और अधिक पारदर्शी, तकनीक-सक्षम और प्रभावी बनाने के लिए गठित मंत्रियों के समूह (GoM) की महत्वपूर्ण बैठक आज राजधानी दिल्ली में आयोजित हुई। बैठक में छत्तीसगढ़ के वित्त मंत्री श्री ओ.पी. चौधरी ने राज्य के अनुभव साझा किए और बोगस व्यवसायियों पर सख्त कार्रवाई, पंजीयन प्रक्रिया में आधुनिक तकनीक के प्रयोग तथा फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट पर रोकथाम के लिए कई महत्वपूर्ण सुझाव प्रस्तुत किए। इस समूह का संयोजन गोवा के मुख्यमंत्री डॉ. प्रमोद पी. सावंत कर रहे हैं।
बैठक में छत्तीसगढ़ के वित्त मंत्री ओ.पी. चौधरी ने बतौर सदस्य भागीदारी की और राज्य के अनुभव एवं नीतिगत सुझाव साझा किए। बैठक का मुख्य उद्देश्य राजस्व संग्रहण में आ रही चुनौतियों का आकलन कर व्यापक समाधान तलाशना था।
बैठक के दौरान देश के विभिन्न राज्यों के वित्त मंत्रियों ने अपने-अपने राज्यों में जीएसटी के राजस्व पर पड़ने वाले आर्थिक व अन्य कारकों का विस्तार से विश्लेषण किया। इस अवसर पर श्री चौधरी ने छत्तीसगढ़ में एंटी इवेजन और अनुपालन के क्षेत्र में की गई पहलों की जानकारी दी।
श्री ओ.पी. चौधरी ने बताया कि कर अपवंचन रोकने और वास्तविक करदाताओं को सहूलियत देने के लिए छत्तीसगढ़ में डाटा एनालिटिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित टूल्स का सघन उपयोग किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि ऐसे प्रयासों से राज्य के राजस्व में उल्लेखनीय बढ़ोतरी संभव हुई है।
बैठक में बीफा, जीएसटी प्राइम और ई-वे बिल पोर्टल जैसी अत्याधुनिक प्रणालियों के प्रजेंटेशन भी हुए। श्री चौधरी ने सुझाव दिया कि इन नवाचारों को पूरे देश में समान रूप से लागू करने से बोगस व्यवसायियों की पहचान और कार्यवाही में तेजी लाई जा सकेगी।
छत्तीसगढ़ के वित्त मंत्री ने विशेष रूप से फर्जी बिलों पर नियंत्रण, फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट की रोकथाम, तथा पंजीकरण की प्रक्रिया में पारदर्शिता के लिए केंद्रीयकृत डिजिटल तंत्र के विकास पर बल दिया। उन्होंने कहा कि इन उपायों से न केवल राजस्व बढ़ेगा बल्कि करदाताओं में विश्वास भी बढ़ेगा।
वित्त मंत्री श्री चौधरी ने बैठक में यह भी रेखांकित किया कि मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में जीएसटी कलेक्शन के संदर्भ में राज्य स्तर पर नियमित समीक्षा और डेटा आधारित निर्णय प्रक्रियाओं ने सकारात्मक परिणाम दिए हैं। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ का अनुभव अन्य राज्यों के लिए उपयोगी मॉडल बन सकता है।
बैठक में वित्त मंत्री ओ पी चौधरी ने कहा कि सभी राज्यों को मिलकर साझा प्रयास करने चाहिए ताकि जीएसटी राजस्व संग्रहण में स्थायित्व एवं वृद्धि सुनिश्चित हो सके। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि मंत्रियों के समूह द्वारा सुझाए गए उपायों को जीएसटी परिषद शीघ्र लागू करेगी। उन्होंने कहा कि यह बैठक जीएसटी परिषद के समक्ष व्यापक सुधारात्मक प्रस्ताव रखने के लिए महत्वपूर्ण साबित होगी, जिससे भारत में कर प्रशासन और राजस्व संग्रहण को नई दिशा मिलेगी।
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