Thursday, 19 September 2024

रायपुर। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस ने लोकसभा सीट जीताने की जिम्मेदारी अपने मंत्रियों को सौंप दी है। मंत्रियों के बीच जिलों का बंटवारा इस तरह से किया कि हर मंत्री को एक-एक लोकसभा सीट जिताने की जिम्मेदारी दी जा सके। मुख्यमंत्री ने सभी मंत्रियों से कहा है कि वे लोकसभा चुनाव को देखते हुए अपने-अपने लोकसभा सीटों पर तत्काल फोकस करना शुरू कर दें। राज्य में मुख्यमंत्री को छोड़कर 11 मंत्री हैं और इतनी ही लोकसभा की सीटें।
सरगुजा संभाग के पांच में से तीन जिलों का प्रभार मंत्री टीएस सिंहदेव को देकर सरगुजा लोकसभा सीट के लिए उनकी जिम्मेदारी तय की गई है। इसी संभाग से डॉ. प्रेमसाय सिंह भी मंत्री हैं। उन्हें भी एक लोकसभा सीट देनी थी, तो मुख्यमंत्री ने उन्हें जांजगीर-चांपा जिले का प्रभारी बना दिया।
मंत्री ताम्रध्वज साहू दुर्ग लोकसभा सीट के सांसद थे। मंत्री बनने के बाद उन्होंने सांसद पद से इस्तीफा दिया है। अब दुर्ग लोकसभा सीट साहू के हवाले कर दिया गया है। मंत्री मोहम्मद अकबर कवर्धा के साथ ही राजनांदगांव जिले का भी प्रभारी बनाकर राजनांदगांव लोकसभा सीट का जिम्मा दिया है।
दुर्ग संभाग से तीसरे मंत्री रविंद्र चौबे को बिलासपुर व मुंगेली जिले का प्रभारी बनाया, ताकि बिलासपुर लोकसभा सीट का दायित्व उन्हें दिया जा सके। दुर्ग संभाग के ही चौथे मंत्री गुरु स्र्द्र कुमार को भी रायपुर संभाग के जिलों का प्रभार देना पड़ा है। उन्हें रायपुर संभाग के तीन जिले महासमुंद, गरियाबंद, धमतरी का प्रभारी बनाया है, जिसमें महासमुंद लोकसभा सीट भी है।
दुर्ग संभाग की पांचवीं मंत्री अनिला भेंड़िया हैं। उन्हें दुर्ग संभाग के एक जिले बालोद और बस्तर संभाग के एक जिले कांकेर का प्रभारी बनाया है। इन दो जिलों में एक कांकेर लोकसभा सीट है। कवासी लखमा बस्तर संभाग के पांच जिलों के साथ बस्तर लोकसभा सीट की जिम्मेदारी दी गई है।
मंत्री जयसिंह अग्रवाल कोरबा के विधायक हैं, इसलिए उन्हें कोरबा जिले का प्रभार देकर कोरबा लोकसभा सीट की भी जिम्मेदारी दे दी है। मंत्री उमेश पटेल रायगढ़ जिले के खरसिया विधानसभा सीट के विधायक हैं, तो उन्हें रायगढ़ लोकसभा सीट की जिम्मेदारी दी गई है। बघेल मंत्रिमंडल में रायपुर संभाग से डॉ. शिवकुमार डहरिया अकेले मंत्री हैं, इस कारण उन्हें रायपुर का प्रभारी बनाकर रायपुर लोकसभा सीट को संभालने के लिए कहा है।

रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मंगलवार को अपने मंत्रिमंडल के सभी 11 मंत्रियों में 27 जिलों का बंटवारा करके उन्हें प्रभारी बना दिया। मंत्री कवासी लखमा को सबसे ज्यादा बस्तर संभाग के सात में से छह जिलों का प्रभार दिया गया है।
वहीं, मंत्री टीएस सिंहदेव को सरगुजा संभाग के पांच में से तीन जिले सरगुजा, बलरामपुर व सूरजपुर की जिम्मेदारी दी गई है। बाकी दो जिले कोरिया व जशपुर दो मंत्रियों को अलग-अलग मिले हैं। मंत्री डॉ. शिवकुमार डहरिया को रायपुर के साथ बलौदाबाजार-भाटापारा का प्रभारी बनाया गया है।
मुख्यमंत्री बघेल ने मंत्रिमंडल की बैठक के बाद किस मंत्री को कौन से जिले का प्रभारी बनाया, इस पर मंथन किया। शाम को सूची जारी की गई। मुख्यमंत्री ने ज्यादातर मंत्रियों को उनके ही जिले का प्रभार दिया और आसपास के जिले भी उन्हें दिए गए हैं। हालांकि, इस कवायद में सरगुजा और दुर्ग संभाग के तीन मंत्रियों डॉ. प्रेमसाय सिंह, रविंद्र चौबे और गुरु स्र्द्र कुमार को उनके क्षेत्र का जिला नहीं मिल पाया है।
मंत्री-जिला प्रभार
टीएस सिंहदेव-सरगुजा, सूरजपुर, बलरामपुर
रविंद्र चौबे-बिलासपुर, मुंगेली
डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम-जांजगीर
डॉ. शिवकुमार डहरिया-रायपुर, बलौदाबाजार-भाटापारा
मोहम्मद अकबर-कवर्धा, राजनांदगांव
ताम्रध्वज साहू-दुर्ग, बेमेतरा
कवासी लखमा-बस्तर, नारायणपुर, बीजापुर, सुकमा, कोंडागांव, दंतेवाड़ा
जयसिंह अग्रवाल-कोरबा, कोरिया
उमेश पटेल-रायगढ़, जशपुर
गुस्र् स्र्द्र कुमार-महासमुंद, धमतरी, गरियाबंद
अनिला भेंड़िया-कांकेर, बालोद

लोरमी। भाजपा नेता ने गुड़ फैक्टरी में पांच नाबालिग लड़की सहित 11 बैगा मजदूरों को बंधक बना लिया था। परिजन ने इसकी सूचना चिल्फी चौकी को दी। इस पर एसडीओपी तेजराम पटेल, नायब तहसीलदार मुकेश देवागंन, लेबर इंस्पेक्टर जीआर आर्मो मौके पर पहुंचे और सभी मजदूरों को मुक्त कराया। लोरमी क्षेत्र के ग्राम गोल्हापारा में शत्रुहन साहू गुड़ फैक्टरी चलाता है।
काम की अधिकता को देखते हुए उसने बिजराकछार पंचायत के पांच नाबालिग लड़कियों सहित 11 बैगा मजदूरों को काम कराने के लिए एक माह पहले लेकर आया था। उनसे प्रतिदिन बेतहाशा काम कराया जा रहा था। बैगा बच्चों से परिजन मिलने के लिए आते थे, लेकिन उन्हें मिलने नहीं देता था।
न तो देता था और न ही ढंग से भोजन देता था। लड़कियां काफी परेशान थीं। छुड़ाने के बाद उनका और बैगा श्रमिकों का स्वस्थ्य परीक्षण कराया गया। संचालक के खिलाफ लेबर इंस्पेक्टर आर्मों कार्रवाई कर रहे हैं।

रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार पहली से पांचवीं तक सरकारी स्कूलों के बच्चों को अब न सिर्फ किताबें, बल्कि निजी स्कूलों की तर्ज पर सरकारी नोटबुक (कॉपियां) भी देगी। छत्तीसगढ़ पाठ्यपुस्तक निगम के प्रॉफिट फंड से कार्पोरेट सोशल रिस्पांसबिलिटी के तौर पर 22 लाख बच्चों के लिए नोटबुक तैयार कराई जा रही है। अधिकारियों का कहना है कि सरकारी स्कूल में ज्यादातर बीपीएल परिवार के बच्चे पढ़ते हैं। उनके लिए किताबें तो मुफ्त में मिल जाती हैं पर कॉपियां नहीं मिलतीं। ऐसे बच्चों के लिए यह योजना वरदान साबित होगी।
सीखने और सिखाने का पैमाना पहले ही तय
सरकारी स्कूलों में बच्चों के पढ़ने-पढ़ाने और सिखाने का पैमाना सरकार ने पहले ही फिक्स कर दिया है। इसके मुताबिक पहली के बच्चे को कम से कम गणित में 20 तक गिनती और जोड़, घटाने की प्रक्रिया आनी चाहिए। 20 तक गिनती के बीच में वह कौन बड़ी संख्या और कौन छोटी संख्या है, यह तय कर पा रहा है तो उसका लर्निंग आउटकम ठीक है। 01 से 20 तक गिनती सीखना पर्याप्त है। इसी तरह कक्षा दूसरी के बच्चे को 99 तक गिनती लिखना, पढ़ना आना चाहिए , साथ ही रुपए, सिक्के, शेप्स की जानकारी हो जाए तो उसे अधिक पढ़ाने की जरूरत नहीं होगी। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने कक्षा और उम्र के आधार पर बच्चों में लिखने, पढ़ने, समझने और बोलने की क्षमता को परखने का आधार तय कर दिया है। उसके हिसाब से ही नोटबुक बनाई जा रही है।
ये मिलेगा फायदा
नोटबुक इस तरह से डिजाइन की गई है कि इसमें शिक्षक किसी एक कक्षा के विभिन्न् लर्निंग आउटकम पर काम करने के बाद उन पर अलग-अलग तरीके से अभ्यास करा सकेंगे। यह सामग्री इस प्रकार से तैयार की गई है कि शिक्षक किसी एक कक्षा के विभिन्न् लर्निंग आउटकम पर कार्य करने के बाद उन पर अलग-अलग तरीकों से अभ्यास कराएंगे।
नोटबुक डिजाइन के लिए सौंप चुके हैं काम
नोटबुक बनाने के लिए समग्र शिक्षा विभाग के सहायक संचालक डॉ. एम सुधीश को काम दिया गया है। वे बच्चों के पढ़ने-पढ़ाने और सिखाने के पैमाने पर ही नोटबुक की डिजाइन कर रहे हैं। डॉ. सुधीश प्रदेश में शिक्षा गुणवत्ता अभियान के लिए हर साल माड्यूल तैयार कर रहे हैं। इसके आलावा नवाचार शिक्षा पर भी फोकस करते हुए गुणवत्ता के लिए काम कर रहे हैं।
राज्य सरकार बच्चों के हित में काम करने के लिए हर तरह से तैयार है। इसी कड़ी में हमने अब पाठ्यपुस्तक निगम के प्रॉफिट फंड को शिक्षा की गुणवत्ता में खर्च करने का निर्णय लिया है। इससे सरकारी स्कूलों के बच्चों को बेहतर डिजाइन और लर्निंग आउटकम की नोटबुक मिलेगी। - एस प्रकाश, संचालक लोक शिक्षण संचालक एवं एमडी पाठ्यपुस्तक निगम

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