Tuesday, 17 September 2024

भोपाल। बसपा की समर्थन वापसी की धमकी का असर हुआ है। प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने पिछले 15 सालों में नेताओं, पार्टी कार्यकर्ताओं और अन्य पर दर्ज किए गए राजनीतिक मुकदमे वापस लेने की घोषणा की है। प्रदेश के कानून मंत्री पीसी शर्मा ने कहा है कि एट्रोसिटी एक्ट के खिलाफ 2 अप्रैल 2018 को हुए भारत बंद आंदोलन के तहत जिन लोगों पर मामले दर्ज किए गए थे, सरकार ने उन्हें वापस लेने का फैसला किया है। इसी तरह पिछले 15 सालों में जितने भी राजनीतिक मामले दर्ज किए गए वे सब वापस होंगे।
गौरतलब है कि बसपा ने 1 दिन पहले ही कांग्रेस को मध्यप्रदेश और राजस्थान में समर्थन वापस लेने की धमकी दी थी। इसके बाद मध्यप्रदेश के नए कानून मंत्री पीसी शर्मा ने ट्वीट कर साफ किया कि 2 अप्रैल 2018 को भारत बंद के दौरान हुई हिंसा के बाद कई लोगों पर मामले दर्ज किए गए थे। सरकार इन्हें वापस लेगी। इसके अलावा पिछले 15 सालों में भाजपा सरकार ने राजनीति से प्रेरित होकर कई लोगों पर मुकदमे दर्ज कराए थे, सरकार उन्हें भी वापस लेगी।
प्रदेश सरकार के इस फैसले को बसपा की धमकी का असर माना जा रहा है। पीसी शर्मा ने पदभार संभालने के बाद भी कहा कि था कि भाजपा के शासनकाल में कई लोगों पर राजनीतिक मुकदमे दर्ज किए गए थे। इनमें कांग्रेस, बसपा, कम्युनिस्ट और नर्मदा बचाओ आंदोलन के कई कार्यकर्ता और पदाधिकारी शामिल हैं। सरकार इन सबके खिलाफ लगाए गए मामले वापस लेगी। प्रदेश सरकार ने मुकदमे वापस लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी है
बसपा के साथ से चल रही सरकार
मध्य प्रदेश में कुल 230 विधानसभा सीटें हैं और सरकार बनाने के लिए कम से कम 116 विधायकों की जरूरत होती है लेकिन कांग्रेस के 114 विधायक हैं। कांग्रेस को बसपा के 2, सपा का 1 और 4 निर्दलीय विधायकों का समर्थन मिला हुआ। इसी तरह राजस्थान में कुल 200 विधानसभा सीटें हैं जिनमें 199 पर चुनाव हुआ। 200 विधायकों के सदन में सरकार बनाने के लिए 101 विधायकों की जरूरत होती है लेकिन कांग्रेस के 99 विधायक हैं और उसे बहुजन समाज पार्टी के 6 विधायकों का समर्थन मिला हुआ है।

ग्वालियर। भाजपा सांसद अनूप मिश्रा के घर में आज सुबह आग लग गई। आग उनके बेडरूम जोकि घर की दूसरी मंजिल पर मौजूद है, वहां लगी थी। आग की वजह से उनके कमरे का रूम जलकर खाक हो गया। शुरुआती जानकारी के मुताबिक शॉर्ट सर्किट की वजह से आग लगी है। इस आगजनी में तकरीबन 6 लाख का सामान जलकर खाक हो गया।
आगजनी की जानकारी मिलते ही नगर निगम के फायर टैंडर मौके पर पहुंचे और आग पर काबू पाया गया। गनीमत रही कि इस घटना में कोई चोटिल नहीं हुआ।

एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर) आनंद कुमार मीडिया से मुखातिब हुए तो उन्होंने योगेश राज का नाम लेना मुनासिब ही नहीं समझा. जब पत्रकारों ने खुद उसका नाम लेकर एडीजी साहब से सवाल किया तो उन्होंने इस हिंसा के

बुलंदशहर के स्याना में हुए बवाल की पहली एफआईआर में भले ही बजरंग दल के जिला संयोजक योगेश राज के नाम का जिक्र 3 बार हो, लेकिन यूपी के एडीजी लॉ एंड ऑर्डर आनंद कुमार अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में उसका नाम लेने से बचते रहे. जब पत्रकारों ने उसका नाम लेकर सवाल पूछा तब उन्होंने कहा कि उनका नाम इस केस में नामित है. जांच की जा रही है.

बजरंग दल का संयोजक है मुख्य आरोपी

स्याना थाने के प्रभारी निरीक्षक सुबोध कुमार सिंह की हत्या का आरोपी बजरंग दल का नेता योगेश राज है. आरोप है कि उसके साथ भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा के कार्यकर्ता भी इस वारदात को अंजाम देने में शामिल थे. यहां तक कि इंस्पेक्टर सुबोध का जो आखरी वीडियो सामने आया, उसमें योगेश राज उनके साथ बहस करता दिख रहा है.

FIR में 3 बार आया योगेश का नाम

इस हिंसा की एफआईआर खुद चिंगरावठी पुलिस चौकी के इंचार्ज सुभाष चंद ने दर्ज कराई है. उस एफआईआर में सब इंस्पेक्टर सुभाष ने पहला नाम योगेश राज का ही लिखवाया है. हालांकि उसके साथ अन्य 27 लोग भी नामजद किए गए हैं. लेकिन इस हिंसा की तहरीर में 3 बार योगेश का नाम आया है. एफआईआर में साफ-साफ लिखा है कि वो भीड़ का नेतृत्व कर रहा था. भीड़ को भड़का रहा था.

योगेश के नाम से परहेज

लेकिन जब मंगलवार की दोपहर यूपी के एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर) आनंद कुमार मीडिया से मुखातिब हुए तो उन्होंने योगेश राज का नाम लेना मुनासिब ही नहीं समझा. जब पत्रकारों ने खुद उसका नाम लेकर एडीजी साहब से सवाल किया तो उन्होंने इस हिंसा के आरोपी को इज्जत बख्शते हुए कहा कि उनका नाम इस मामले में नामित है. उन्होंने किसी भी संगठन का नाम लेने से मना करते हुए कहा कि किसी संगठन का नाम लेना उचित नहीं है. एडीजी ने कहा कि उनकी गिरफ्तारी की कोशिशें की जा रही हैं. योगेश राज अभी ना गिरफ्तार हैं, ना ही हिरासत में हैं.

'इंस्पेक्टर ने खुद को मारी गोली, योगेश नादान'

उधर, जब आज तक की टीम हिंसा के मास्टरमांइड योगेश राज के घर पहुंची तो वहां मौजूद उसकी बहन ने कहा कि योगेश नादान है. वो गो माता का रक्षक और सेवक है. मां बहनों का सेवक है. सेवा करता है. वो वहां नहीं गया था. लेकिन जब आजतक टीम ने उसकी बहन से वीडियो का जिक्र किया उसकी बहन ने मासूमी से कहा कि योगेश वहां था ज़रूर लेकिन इंस्पेक्टर ने उसे कहा कि देख मैं खुद को गोली मार रहा हूं, इसमें तेरा नाम आएगा. और इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह ने खुद को गोली मार ली और उसकी हत्या हो गई.

मृतक युवक का शव गांव रवाना

मेरठ के आई.जी. ने आजतक से कहा कि ऐसा कोई वीडियो नहीं है, जिसमें सुबोध कुमार सुमित कुमार को गोली मारते दिख रहे हैं. कई वीडियो वायरल हैं. एसआईटी जांच कर रही है. सुमित की डेड बॉडी गांव में आने वाली है. उसको लेकर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं.

आरोपी को इज्जत बख्शते हुए कहा कि उनका नाम इस मामले में नामित है.

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