Friday, 20 September 2024

 
 
बिलासपुर । बिलासपुर के सीईओ जिला पंचायत के दफ्तर में भीषण आग लगी गई है. आग लगने की वजह से दफ्तर में चारों तरफ अफरा-तफरी मच गई । कर्मचारियों ने कार्यालय से भागकर अपना जान बचाई है।      
बताया जा रहा है कि जिला कार्यालय में आग शार्ट सर्किट से लगी है. आग की लपटों से कई महत्वपूर्ण फाइल जलकर खाक हो गए है. जिससे लाखों के नुकसान का अनुमान लगाया जा रहा है. आग की लपटे उतनी तेज है कि दूर से दिखाई दे रही है. चारों तरफ धुएं का गुब्बार दिख रहा है।      
घटना सूचना फायर ब्रिगेड को दी गई. सूचना मिलने के बाद मौके पर पहुंची फायर ब्रिगेड की टीम ने फिलहाल आग पर काबू पा लिया गया है।      
वहीँ घटना की सुचना मिलते ही मौके पर स्थानीय विधायक शैलेश पाण्डेय भी पहुँच गए हैं जहाँ पर उन्होंने अधिकारीयों को तत्काल राहत कार्य के निर्देश दिए हैं ।      

 
बिलासपुर। बचपन में ही मेरे मा-बाप खत्म हो गए थे। एक एकड़ की जमीन में खेती किसानी कर जीवन यापन कर रही थी कि मुझसे एक गलती हो गई। मै एक लड़के के प्यार में पड़ गई और उस पर विस्वास किया। लेकिन मुझे पता नहीं था कि वो मुझे बीच मझधार में छोड़कर चला जाएगा। अब मैं बिन ब्याही मां हूं और मुझे समाज का सामना भी करना है। मुझे मेरी चिंता नहीं बस चिंता है तो इस बच्चे की इसे कैसे पालूंगी। मै चाहती तो हूं कि इसे किसी को गोद दे दूं लेकिन कुछ समझ नहीं आ रहा है। दबी जुबां से कहे गए ये शब्द हैं एक 21 वर्षीय बिन ब्याही मां के हैं जो जिला अस्पताल में डॉक्टरों को अपनी आपबीती सुना रही थी।
एक सप्ताह तक चला जिला अस्पताल में इलाज : रायगढ़ क्षेत्र की एक युवती को 14 मई को जिला अस्पताल में गंभीर हालत में भर्ती कराया गया था। युवती के साथ कोई नहीं था। भर्ती होने के दूसरे दिन युवती ने एक बेटी को जन्म दिया। मां की हालत ठीक थी लेकिन नवजात कि तबियत बिगडऩे के कारण जिला अस्पताल के एसएनसीयू बार्ड में भर्ती कराया गया था। मां और उसका बच्चा पूरे एक सप्ताह तक जिला अस्पताल में रहे और 20 मई को जिला अस्पताल से छुट्टी लेकर चले गए।
नवजात को चुराने की कोशिश हुई : जिला अस्पताल की नर्सों ने बताया कि जिस दिन युवती ने बच्चे को जन्म दिया था उसी दिन युवती का कोई रिलेटिव युवक आया और नवजात को खिलाने के बहाने गोद में ले लिया। मौका देखकर भागने लगा तो मौजूद नर्सों ने उसे पकड़ लिया। नवजात को युवक से छुड़ाया गया। बाद में पता चला कि आरोपी युवक युवती का जीजा था। इस मामले ने पूरे अस्पताल प्रबंधन को ही कटघरे में खड़ा कर दिया था कि आखिर एसएनसीयू से सुरक्षित वार्ड में बगैर परमिशन के कोई कैसे नवजात को चुरा सकता है। समय रहते युवक की हरकत पकड़ में आ गई नहीं तो सिविल सर्जन को इस मामले मे जबाब देते नहीं बनता।
सिविल सर्जन अंजान, अस्पताल से कब चली गई युवती:
अस्पताल की नर्सों ने कहा कि बीते दिन ही युवती अपने बच्चे को लेकर घर चली गई है। उसके साथ उसके कुछ रिस्तेदार भी थे। वहीं इस मामले में सिविल सर्जन एसएस भाटिया कहा कहना है कि मुझे अभी जानकारी नहीं है कि युवती की छुट्टी हो गई है कि नहीं मै स्टाफ से पूछता हूं। गंभीर मामला सामने आने के बाद पुलिस और अन्य संस्थाएं भी युवती से संपर्क कर रहीं हैं। पुलिस ने बयान दर्ज किए हैं। जांच और शिकायत के आधार पर पुलिस मामले की जांच करेगी।

बिलासपुर । सुकमा जिला अस्पताल में डॉक्टर के उपस्थित नहीं होने और ऑक्सीजन सिलेंडर खाली होने के कारण मरीज की मौत मामले में हाईकोर्ट ने अस्पताल प्रबंधन की घोर लापरवाही माना है. हाईकोर्ट ने पीड़िता को दस लाख रुपए मुआवजा और बच्चे के नाम से ढाई लाख एफडी जमा करने का सरकार को निर्देश दिया गया है. राशि का भुगतान 2 महीने के अंदर करने के लिए कहा है ।
दरअसल बस्तर के जगदलपुर में रहने वाले हितेश देवांगन की तबीयत ज्यादा बिगड़ने पर परिजनों ने बीपीएल कार्डधारी होने के आधार पर राज्य शासन के संजीवनी योजना के तहत आर्थिक मदद की गुहार लगाते हुए सिविल सर्जन को आवेदन दिया था. सिविल सर्जन ने इसे राज्य शासन को फारवर्ड कर दिया था, लेकिन इस पर भी कोई निर्णय नहीं लिया गया. इधर मरीज की स्थिति बिगड़ने पर जगदलपुर के डॉक्टरों ने हैदराबाद ले जाने की सलाह दी. मरीज के परिजन उसे कार से जगदलपुर से हैदराबाद ले जा रहे थे । इसी दौरान सुकमा के पास स्थिति ज्यादा बिगड़ने पर उसे दोपहर के करीब 2.15 बजे सुकमा के जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया. यहां डॉक्टर उपस्थित नहीं थे. सांस लेने में तकलीफ होने के कारण परिजनों ने ऑक्सीजन सिलेंडर की जरूरत बताई, लेकिन जिला अस्पताल में उपलब्ध ऑक्सीजन सिलेंडर खाली था. कुछ देर बाद मरीज की मौत हो गई ।
पत्नी ने सरकारी अस्पताल की स्थिति और मुआवजा अनुकंपा नियुक्ति की मांग की, जस्टिस गौतम भादुड़ी ने मामले की सुनवाई करते हुए सरकारी अस्पताल की इसे घोर लापरवाही माना और पत्नी को दस लाख मुवायजा और बच्चे के नाम से ढाई लाख एफडी जमा करने का सरकार को निर्देश दिया है. जस्टिस भादुड़ी ने इस मामले में सरकारी अस्पताल के लिए कमेटी बनाये जाने और रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है. पूर्व में 2016 में फर्जी रिपोर्ट दी थी की सरकारी अस्पताल की अव्यवस्था दूर कर दी गई है, लेकिन कोर्ट स्वास्थ सुविधा पर लापरवाही के लिए नारजगी भी जाहिर की और नए सिरे से रिपोर्ट देने का आदेश दिया है ।

बिलासपुर । विराट अपहरण कांड मामले में पकड़ाए पांचवे आरोपी राज किशोर को पुलिस ने कोर्ट में पेश किया। एक और खुलासा हुआ कि उसने पुलिस को गुमराह करने के लिए अपहरण में उपयोग की गई डस्टर कार को रामानुजगंज में छिपाया था। शनिवार देर रात पुलिस ने कार बरामद कर ली। विराट अपहरण कांड में पकड़े गए पांचवे आरोपी राजकिशोर पिता शत्रुघन सिंह ने पूछताछ में पुलिस को बताया कि विराट के अपहरण के बाद वैगनआर कार से विराट को निकाल करवह अपनी डस्टर कार सीजी 04 के आर 5232 में बैठाकर घर ले गया था।
21 मई को वह रामानुजगंज चला गया और फिरौती के लिए विराट के पिता को कॉल किया। इसके बाद वह कार लेकर बिहार चला गया था। 23 अप्रैल को कार लेकर वह फिर से रामानुजगंज पहुंचा और बस स्टैण्ड के पीछे सुलभ काम्प्लेक्स के पास खाली जगह पर कबाड़ वाहनों के बीच उसने अपनी कार भी खड़ी कर दी थी, ताकि पुलिस को कार मिलने पर यह लगे कि आरोपी रामानुजगंज में हैं। इसके बाद वह फिर बिहार चला गया था। शनिवार देर रात पुलिस राज किशोर को लेकर रामानुजगंज पहुंची और कार को बरामद किया।

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