Friday, 18 October 2024

 
 
 
रायपुर । प्रदेश की नई सरकार को प्रशासनिक कामों में गड़बड़ी के कारण दो-तीन बड़े झटके लगे, तो मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का पुरानी प्रशासनिक व्यवस्था से भरोसा उठ गया है। इस कारण उन्होंने सरकारी कामकाज की निगहबानी के लिए संगठन को मैदान में उतार दिया है।
दूसरी तरफ, मुख्यमंत्री ने आचार संहिता हटने से पहले ही पुरानी प्रशासनिक व्यवस्था में बदलाव भी शुरू कर दिया है। आचार संहिता हटने के बाद न केवल मंत्रालय के कई अधिकारियों के विभाग बदले जाएंगे, बल्कि जिला स्तर पर कलेक्टर व एसपी से लेकर दूसरे विभागों के अधिकारियों को भी इधर से उधर किया जाएगा।
सरकारी कामकाज में दिक्कतों के कारण अक्सर देखा जाता है कि सत्ता और संगठन में टकराव की स्थिति पैदा हो जाती है। प्रदेश की पूर्ववर्ती भाजपा सरकार में ऐसा कई बार हुआ, जब संगठन की नाराजगी अपनी ही सरकार के खिलाफ दिखी।
अभी कांग्रेस और उसकी सरकार के लिए एक बात यह अच्छी है कि संगठन का मुखिया और मुख्यमंत्री एक ही व्यक्ति है। इस कारण बघेल के लिए सत्ता और संगठन के बीच समन्वय बनाकर चलना कोई कठिन काम नहीं है। सत्ता संभालने के बाद बघेल को प्रशासनिक कामकाज में कुछ ऐसी दिक्कतों का सामना करना पड़ा है कि उनके लिए अब सत्ता के साथ संगठन को जोड़कर चलना जरूरी हो गया है।
मुख्यमंत्री बघेल ने पीसीसी अध्यक्ष होने के नाते संगठन को निर्देश दिया है कि अभी खरीफ फसल के मौसम में जिला और ब्लॉक कांग्रेस कमेटी के पदाधिकारी व कार्यकर्ता गांवों का दौरा करें। किसानों से मिलें, यह जानकारी लें कि उन्हें अच्छे किस्म का खाद और बीज उपलब्ध कराया गया है या नहीं? कृषि ऋण को लेकर कोई दिक्कत तो नहीं है? पार्टी के पदाधिकारियों-कार्यकर्ताओं को यह निर्देश दिया गया है कि उन्हें कहीं भी किसानों के साथ कोई परेशानी दिखती है, तो उसकी सूचना तत्काल प्रदेश कार्यालय को दें। प्रदेश कमेटी सीधे मुख्यमंत्री और विभागीय मंत्री को रिपोर्ट देगी।
संगठन की सक्रियता से प्रशासन पर बनेगा दबाव
कांग्रेस संगठन की निगरानी से प्रशासन पर दबाव बनेगा, क्योंकि अधिकारियों को पता होगा कि सत्ताधारी दल के नेता किसानों से सीधे मिलकर उनको मिलने वाली सुविधाओं की जानकारी ले रहे हैं, तो प्रशासनिक अमले की कोशिश रहेगी कि कोई नकारात्मक रिपोर्ट ऊपर न जाए।
ऐसे झटके लगे सरकार को
- ट्रेजरी का सर्वर बंद होने के कारण सरकारी अधिकारियों-कर्मचारियों को वेतन देने में देर हुई।
- चिप्स के सर्वर में तकनीकी खराबी आने के कारण पीईटी व पीपीएटी को स्थगित करना पड़ा।
- बिजली के मामले में सरप्लस स्टेट होने के बावजूद पॉवरकट होने के कारण विपक्ष ने घेरा।
सीएम सुनियोजित साजिश की जता चुके हैं आशंका
मुख्यमंत्री बघेल ने अब तक हुई प्रशासिनक कार्यों में हुई गड़बड़ियों के पीछे सुनियोजित साजिश की आशंका जता चुके हैं। उनका इशारा उन अधिकारियों की तरफ है, जो पूर्ववर्ती सरकार के करीबी माने जाते थे। सत्ता में आने से पहले बघेल ने कहा भी था कि कमल फूल छाप अधिकारी सुधर जाएं, वरना खुद तय कर लें, उन्हें कहां जाना है।

 
 
रायपुर । छत्तीगसढ़ में विधानसभा चुनाव में हार के बाद भाजपा अब जमीन स्तर पर संगठन में कसावट की तैयारी में उतर गई है। नगरीय निकाय चुनाव और पंचायत चुनाव को देखते हुए संगठन ने शक्ति केंद्र बनाने शुरू किए हैं। बताया जा रहा है कि इसमें पंचायत चुनाव से लेकर नगरीय निकाय के उम्मीदवारों की भी खोज होगी। प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव नवंबर और जनवरी में पंचायत के चुनाव होने हैं। ऐसे में पार्टी ने शक्ति केंद्र को मजबूत करने के बहाने नये सिरे से संगठन को एक्टिव करने का सिलसिला शुरू कर दिया है।
लोकसभा चुनाव में पार्टी ने सभी सांसदों का टिकट काटकर नये चेहरों को मैदान में उतारा है। 23 मई को आने वाले परिणाम में यह फार्मूला सफल हो जाता है तो पार्टी नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव में भी नए और फ्रेश चेहरे पर दांव लगा सकती है। भाजपा के उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो विधानसभा चुनाव में पार्टी का ग्रामीण वोटबैंक पूरी तरह से खिसक गया।
एक दर्जन विधानसभा में पार्टी उम्मीदवारों की 40 हजार से ज्यादा वोट से हार हुई। इसमें अधिकांश विधानसभा ग्रामीण क्षेत्र की हैं और जातिगत समीकरण के आधार पर नुकसान उठाना पड़ा। पार्टी के आंतरिक आंकलन में सामने आया कि अगर इन सीटों पर नये चेहरों को मौका दिया गया होता तो परिणाम इतने बुरे नहीं आते। अब पार्टी ने 19 हजार पंचायतों में शक्ति केंद्र बनाने की कवायद शुरू की है।
गैरदलीय होता है प्रदेश में पंचायत चुनाव
प्रदेश में पंचायत चुनाव गैरदलीय आधार पर होता है। ऐसे में पार्टी ने पंचायत के कद्दावर नेताओं को एक बार फिर पंचायत स्तर पर संगठन को सक्रिय करने की जिम्मेदारी सौंपी है। पार्टी सूत्रों की मानें तो दिग्गज नेता भले ही अलग-अलग प्रदेश की लोकसभा सीटों पर प्रचार में जुटे हैं, लेकिन प्रदेश संगठन अब त्रिस्तरीय पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव में भिड़ गया है।
पांच बूथ को मिलकार बनता है शक्ति केंद्र
भाजपा संगठन में पांच बूथ को मिलाकर शक्ति केंद्र बनाया जाता है। प्रदेश में करीब 24 हजार बूथ है। भाजपा के प्रदेश में 488 मंडल हैं। ऐसे में बूथ और मंडल के बीच कार्यकर्ताओं को सक्रिय करने में शक्ति केंद्र की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह भी श्ाक्ति केंद्र को महत्वपूर्ण इकाइ मानते हैं। यही कारण है कि वे अपनी हर सभा में शक्ति केंद्र प्रभारियों से संवाद करते हैं और उनको चुनावी टिप्स देते हैं।

 
 
रायपुर । प्रदेश के सभी घरेलू उपभोक्ताओं को उनके द्वारा खपत की गई चार सौ यूनिट पर हाफ बिजली बिल स्कीम का लाभ देने का निर्णय छत्तीसगढ़ शासन ने लिया था। इसे छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर कंपनी ने एक मार्च से प्रभावशील कर दिया है, जिसका लाभ प्रदेश के घरेलू उपभोक्ताओं को मिलने लगा है।
पॉवर कंपनी अध्यक्ष शैलेन्द्र शुक्ला ने बताया कि अप्रैल तक राज्य के लगभग 26.50 लाख उपभोक्ता इस योजना से लाभान्वित हो रहे है। योजना से राज्य के समस्त बीपीएल एवं फ्लैट रेट योजना के अंतर्गत शामिल अन्य घरेलू श्रेणी के उपभोक्ताओं को बड़ी राहत मिली है।
शुक्ला ने बताया कि प्रदेश में 19 लाख 93 हजार से अधिक बीपीएल कनेक्शन देकर गरीब तबके के लोगों को बिजली की मूलभुत सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। एकलबत्ती निशुल्क विद्युत प्रदाय योजना के हितग्राहियों को प्रतिमाह तीस यूनिट तक दी जा रही निशुल्क विद्युत प्रदाय की सुविधा को यथावत रखा गया है। इन उपभोक्ताओं को प्रतिमाह 30 यूनिट से अधिक की खपत पर बिल की राशि को आधा करके जारी किये जा रहे है।
घरेलू उपभोक्ताओं के लिए अनेक दृष्टि से फायदेमंद हाफ बिजली बिल स्कीम योजना के अंतर्गत ऐसे उपभोक्ता जिन्होंने फ्लैट रेट का विकल्प दिया था, उन्हे प्रतिमाह पचास स्र्पये की दर से बिल जारी किये जा रहे है। हाफ बिजली बिल स्कीम योजना लागू होने के पूर्व एक किलोवाट तक अनुबंध भार वाले बीपीएल. एवं फ्लैट रेट योजना के अंतर्गत शामिल अन्य घरेलू श्रेणी के उपभोक्ताओं को सौ स्र्पये प्रतिमाह की दर से बिल जारी किये जाते थे।
बकाया जमा करने के दिन से मिलेगा लाभ
हाफ बिजली बिल स्कीम योजना की सुविधा का लाभ ऐसे उपभोक्ताओं को नहीं दिया जा रहा है, जिनके विरूद्ध बकाया राशि शेष है अथवा अन्य किसी कारणों से वे डिफाल्टर घोषित है। ऐसे उपभोक्ता भी राज्य शासन की इस जनहितैशी योजना का लाभ प्राप्त कर सकते है। बकायादार उपभोक्ता जिस तारिख को भुगतान करता है, उसी तारिख से उसे हाफ बिजली बिल स्कीम का लाभ लेने की पात्रता होगी।

 
 
 
 
रायपुर । राजधानी के अधिवक्ता संघ के चुनाव की तारीख तय होने के बाद चुनावी प्रक्रिया औऱ तैयारी तेज कर दी गई है. अध्यक्ष पद के लिए पांच प्रत्याशी ने नामांकन दाखिल किया है. इसके अलावा अधिवक्ता संघ चुनाव के 10 पदों के लिए 32 प्रत्याशियों ने नामांकन दाखिल किया है. कुल 64 प्रत्याशियों ने नामांकन पत्र खरीदा था. अधिवक्ता संघ के निर्वाचन अधिकारी भी चुन लिए गए है। 
संघ के पूर्व अध्यक्ष सुरेंद्र महापात्र मैदान से हटते हुए इस बार नए लोगों को चुनाव मैदान में उतार रहे है. कारण यह है कि नई विचार व युवा चेहरा सामने आएगा, तब विचार भी एक कदम आगे बढ़ने की बात कही है. इसके साथ ही उम्मीदवार अपने पक्ष में माहौल बनाने में जुट गए हैं। 
17 को मतदान, 18 मई को नतीजे
इस बार अधिवक्ता संघ के लिए 1860 वकील मतदान करेंगे. जिला कोर्ट में 3052 वकील हैं, जिनमें से मासिक शुल्क पटाने के आधार पर मतदाता वकीलों के नामों का प्रकाशन किया गया है. नामांकन जमा करने की अंतिम तिथि 9 मई को रखा गया है. दावा आपत्ति के लिए 10 मई व नाम वापसी को लेकर 13 मई निर्धारित किया गया है. 17 मई को सुबह 5 बजे से 11 बजे तक वोट डाल सकते है. परिणाम 18 मई को घोषित कर दिया जाएगा। 
अधिवक्ता कल्याण कोष सबसे बड़ा मुद्दा
अधिवक्ता संघ में कल्याण कोष को लेकर चुनावी गर्मी देखने को खूब मिल रहा है. इस कोष के बारे में बताया जाता है कि जब कोई अधिवक्ता बीमारी से ग्रसित हो जाता है तब उसके इलाज के लिए कोष से पैसे दिए जाते है. इस तरह कोष का उपयोग किया जाता है. साथ ही अगर किसी की मृत्यु हो जाता है तब उसकी सहायता एक लाख रुपए दिया जाता है। 

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