Sunday, 22 December 2024

रायपुर। स्वाइन फ्लू का वायरस ठंड में तो इस साल सक्रिय रहा ही, लेकिन चिकित्सकों का मानना है कि जब मौसम बदला तो इसकी सक्रियता बढ़ी यानी ठंड कम होना, हल्की गर्मी से इसके वायरस अधिक प्रभावी होते हैं। यही वजह है कि दिसंबर और जनवरी में राजधानी रायपुर में स्वाइन फ्लू ने दो मरीजों की जान ले ली।
इनमें से महावीर नगर निवासी 70 वर्षीय बुजुर्ग और आमा सिवनी निवासी 58 वर्षीय महिला शामिल हैं। इनके अलावा अब तक नौ मरीजों में एच1एन1 वायरस पॉजिटिव मिला है। सूत्रों की मानें तो शहर के पचपेड़ी नाका स्थित निजी अस्पताल में अभी दो मरीजों का इलाज जारी है, जो क्रिटिकल हैं। डॉ. भीमराव आंबेडकर अस्पताल में भी नवंबर में आइसोलेटेड वार्ड को दुरुस्त किया गया था। यहां कोई मरीज भर्ती नहीं है।
गौरतलब है रायपुर के इन दो मरीजों के अलावा भिलाई निवासी एक महिला मरीज की शहर के निजी अस्पताल में मौत हुई है। इस सीजन में स्वाइन फ्लू से मरने वालों की संख्या का तीन हो गई है। डॉ. आंबेडकर अस्पताल के टीबी एंड चेस्ट विभागाध्यक्ष डॉ. आरके पांडा कहते हैं कि यह अब साधारण फ्लू की तरह ही है।
हां, हमें इसे लेकर सावधानी बरतने की जरुरत है। चिकित्सकों को समय रहते दिखाएं, ताकि समय रहते इलाज शुरू हो सके। डॉ. पांडा मानते हैं कि यह वायरस कभी भी सक्रिय हो सकता है, पूर्व के वर्षों में 45 डिग्री तापमान में भी केस रिपोर्ट हुए हैं।
- स्वाइन फ्लू के वायरस का लेकर पूर्व में अलर्ट जारी किया गया है। सतर्क रहने की आवश्यकता है। बीते कुछ वर्षों का ट्रेंड है कि बदलते मौसम में ही इसकी सक्रियता होती है। फिलहाल जो मरीज पॉजिटिव मिले हैं, वे ठीक हैं। उनकी मॉनिटरिंग की जा रही है। - डॉ. आरके चंद्रवशीं, जिला नोडल अधिकारी, महामारी नियंत्रण कार्यक्रम

रायपुर। साल का पहला महीना जनवरी गुजर गया। इतनी ठंड नहीं पड़ती, जितनी इस साल पड़ी है। खुद मौसम विभाग का पूर्वानुमान था कि रायपुर का पारा 12 डिग्री के नीचे नहीं जाएगा, लेकिन यह 10 तक पहुंच गया। इसकी वजह रही उत्तर से आने वाली सर्द हवाएं, जो रफ्तार के साथ छत्तीसगढ़ की ओर आ रही थीं।
मगर गुरुवार से इनकी दिशा बदल गई। हवाएं अब पूर्व की तरफ से आनी शुरू हो गई हैं। यही वजह है कि शुक्रवार को तापमान बढ़ेगा। रायपुर का न्यूनतम पारा 10.4 डिग्री रिकॉर्ड किया गया है, जो अगले तीन दिन में बढ़ता हुआ 15 डिग्री पहुंच सकता है।
बुधवार की अपेक्षा गुरुवार की शुरुआत हल्की ठंड से हुई। दिन में ठंड नहीं लगी, शाम और रात को भी अपेक्षाकृत ठंड कम रही। मौसम वैज्ञानी एचपी चंद्रा का कहना है कि इस साल ठंड सभी पूर्वानुमान पर भारी पड़ी है।
ठंड गुजर चुकी है, अब गर्मी शुरू हो चुकी है इसका कोई पैमाना नहीं है न ही घोषणा की जा सकती है। यह महसूस होने वाली चीज है। उसी के आधार पर मौसम विभाग तापमान जारी करता है। जानकारी के मुताबिक जनवरी के अंतिम चार दिन में रायपुर का न्यूनतम पारा 10.1 डिग्री रिपोर्ट हुआ है, जो रिकॉर्ड है।
प्रदेश का मौसम
जिला- न्यूनतम
रायपुर- 10.4 (-4)
माना- 9.7 (-5)
बिलासपुर- 9.0 (-6)
पेंड्रा- 6.6 (-6)
अंबिकापुर- 6.3 (-4)
जगदलपुर- 9.2 (-4)
दुर्ग- 6.8 (-9)
राजनांदगांव- 8.0 (-6)

रायपुर। एक मां का दर्द महसूस कीजिए, जब उसे यह पता चलता है कि उसके लाल के पैर टेढ़े हैं। वह ठीक से चल नहीं पा रहा है। अगर इलाज नहीं मिला तो जिंदगी उसे उन्हीं टेढ़े पैरों के सहारे ही गुजारनी होगी। मगर जब यह मालूम होता है कि वह ठीक हो सकता है तो उसकी चिंता आधी हो जाती है। ऐसी सैकड़ों मां डॉ. भीमराव आंबेडकर अस्पताल में अपने बच्चों को हुई 'फुट क्लब' नामक बीमारी का इलाज करने के लिए दौड़ती हैं।
लेकिन विडंबना देखिए कि इन्हें पैरों को सीधे रखने के लिए बैंडेज, प्लास्टर साथ लाना होता है। अस्पताल में यह मेडिकल सामग्री है ही नहीं। जिस अस्पताल में बड़ी-बड़ी, जटिल से जटिल बीमारी का इलाज होता है, करोड़ों की मशीन हैं और करोड़ों के उपकरण इंप्लांट किए जाते हैं, मरीज ठीक होकर घर लौटता है, वहां 500 और 1000 रुपये के बैंडेज मांताओं को बाहर से खरीदकर लाने होते हैं।
 हड्डीरोग विभाग की ओपीडी के पास प्लास्टर रूम के बाहर दो मां अपने फुट क्लब पीड़ित बच्चों के साथ मिलीं। ये बैंडेज, प्लास्टर खरीदकर लाई थीं। पुराने प्लास्टर्स को गीला करने में जुटी हुई थीं, ताकि नया प्लास्टर बंध सके। मां ही कम्पाउंडर बन जाती हैं, क्योंकि कम्पाउंडर इन्हें ऐसा करने के लिए कहते हैं। इनसे कम्पाउंडर से पूछा गया कि बैंडेज, प्लास्टर क्यों नहीं है तो कहने लगे कि इनकी सप्लाई नहीं हो रही है।
सुनिए मां का दर्द
निर्मला निर्मलकर, पिथौरा- निर्मला ने एक महीने पहले ही बेटे को जन्म दिया। प्यार से नाम रखा खिलेश, लेकिन नन्ही सी जान फुट क्लब बीमारी से ग्रसित है। पिथौरा के डॉक्टर ने आंबेडकर अस्पताल ले जाने की सलाह दी, जहां दूसरी बार वे बच्चों को लेकर पहुंचीं।
कहती हैं कि डॉक्टर हर 15-15 दिन में बुलाते हैं। हर बार बाहर से ही 500 रुपये का बैंडेज और प्लास्टर खरीदना पड़ता है। अस्पताल में कहते हैं कि आता नहीं है। अब बेटे को ठीक करना है तो इतना खर्च तो उठा सकते हैं।
चिनेश्वरी मानिकपुरी, नर्मदा पारा रायपुर- चिनेश्वरी के जुड़वा बच्चे हुए, जिनमें से एक को फुट क्लब बीमारी है। महेश आज दो साल का गया है, लेकिन उसके पैरों से प्लास्टर उतरता ही नहीं है।
चिनेश्वरी हर 15 दिन में अस्पताल पहुंचती हैं। खुद ही प्लास्टर को भीगोती हैं और फिर प्लास्टर रूम का स्टाफ मेहरबानी करके प्लास्टर काटता है। चिनेश्वरी कहती हैं कि हम तो थोड़े सक्षम हैं जैसे-तैसे खर्च काटकर बैंडेज, प्लास्टर खरीद लेते हैं कई तो खरीद भी नहीं पाते। उनके लिए व्यवस्था होनी चाहिए।
क्या है फुट क्लब बीमारी- फुट क्लब जन्मजात बीमारी है। हड्डी रोग विशेषज्ञों का कहना है कि इसका सटीक कारण आज दिनांक तक स्पष्ट नहीं हो पाया है। सबके अलग-अलग मत है।
पहला- गर्भावस्था के समय गर्भस्था के समय शिशु की पोजिशन (जेस्चर) सही नहीं होने के कारण बधाों के पैर खराब हो जाते हैं।
दूसरा- आधुनिक खानपान भी है एक कारण।
तीसरा- गर्भवस्था के दौरान स्टेराइट्स का इस्तेमाल घातक करना।

रायपुर । प्रदेश के हाई और हायर सेकेंडरी स्कूलों में संचालित वोकेशनल कोर्सेस के परीक्षार्थियों को अब इंटर्नशिप करना अनिवार्य कर दिया गया है। राज्य में 540 हाई एवं हायर सेकेंडरी स्कूलों में वोकेशनल एजुकेशन संचालित है। इनमें आइटी,रिटेल ,ऑटोमोबाइल, हेल्थकेयर, बीएफएसआइ, टेली कम्युनिकेशन, एग्रीकल्चर एवं मीडिया एंटरटेनमेंट , इलेक्ट्रानिक्स एवं ब्यूटी एनवेलनेस ट्रेड के विद्यार्थियों को इंटर्नशिप कराने की व्यवस्था जिला शिक्षा अधिकारियों को करनी है। इसके लिए जिले में शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिया गया है।
इन विद्यालयों के लेवल तीन कक्षा ग्यारहवीं, लेवल चार कक्षा बारहवीं में पंजीकृत विद्यार्थियों का इंटर्नशिप किया जाना है। प्रति विद्यालय 25 हजार रुपये प्राचार्य के खाते में हस्तांतरित कर दिया गया है। 31 मार्च से पहले स्कूलों में इंटर्नशिप करानी है। गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल की बोर्ड परीक्षा में वोकेशनल के परीक्षार्थी भी शामिल होंगे।
किस ट्रेड को कहा करनी है इंटर्नशिप
रिटेल : खुदरा दुकानें, सुपर बाजार
आइटी/ आइटीइएसः डीटीपी केंद्र, आइटी पार्ट्स निर्माण इकाई, बीपीओ, संचार और इंटरनेट कैफे, आइटी प्रशिक्षण संस्थान, कम्प्यूटर का उपयोग करने वाला कोई भी व्यावसायिक उद्यम ।
ऑटोमोबाइलः गैराज, ऑटोमोबाइल सेवा केंद्र, ऑटो पार्ट्स केंद्र , विनिर्माण संयंत्र औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान ।
हेल्थकेयर : अस्पताल, क्लीनिक, पैथोलॉजी लैब, नर्सिंग प्रशिक्षण केंद्र, पैरामेडिकल ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट, पीएचसी ।
एग्रीकल्चर : कृषि अनुसंधान केंद्र, कृषि विज्ञान केंद्र, एटीएमए, चावल अनुसंधान केंद्र, कृषि फार्म, उपकरण और सेवाओं के लिए कृषि डीलर ।
बीएफएसआइः बैंक, एमएफआइ, कियोस्क, बैंकिंग केंद्र, ई- बैंकिंग इकाइयां ।
मीडियाः पोस्ट प्रोडक्शन यूनिट, एनिमेशन ट्रेनिंग सेंटर, विज्ञापन और संचार एजेंसियां, वीडियो शूटिंग व्यवसाय
दूरसंचारः ब्रॉडबैंड और संचार सेवा प्रदाता
इंटर्नशिप के लिए यह है जरूरी
ग्यारहवीं और बारहवीं के विद्यार्थियों को अवकाश के दिनों में 80 घंटे का प्रशिक्षण दिलाया जाएगा। समय और तिथि विद्यार्थियों एवं व्यावसायिक संस्थान के मध्य समझौते के अनुसार निर्धारित किया जाएगा। इंटर्नशिप का स्थान यथासंभव विद्यालय या घर के आसपास रखने के लिए प्रयास किया जाएगा। इंटर्नशिप में बच्चों को ले जाने से पहले उनके अभिभावकों से अनुमति लेना अनिवार्य होगा। सुरक्षा के लिए छात्र-छात्राओं को पूर्व प्रशिक्षण और जानकारी साझा की जाएगी।
 31मार्च से पहले बच्चों को इंटर्नशिप करानी है। इसके लिए आवश्यक दिशा-निर्देश दे दिए गए हैं। जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देश भेज चुके हैं। - पी दयानंद, संचालक, समग्र शिक्षा अभियान, छत्तीसगढ़

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