रायपुर। महात्मा गांधी के सुविचारों की देन है कि हम आजाद हैं। उनके निश्चय का परिणाम है कि देश विकास की गाथा रच रहा है। उनकी पुण्यतिथि के अवसर पर शासकीय नागार्जुन विज्ञान महाविद्यालय में गांधी की पुस्तक की प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। यहां युवा, प्राध्यापक और छात्र उनकी कही बातों से रू-ब-रू हुए।
प्रदर्शनी में आजादी के पूर्व छपी पुस्तकों को प्रदर्शित की गई है। सबसे खास पुस्तक थी 'आज के विचार'। आजादी के पूर्व लिखी इस पुस्तक का चौथा संस्करण महाविद्यालय परिसर में देखने को मिला। पुस्तक में एक जनवरी से लेकर 31 दिसंबर तक के सुविचार हैं। साल की शुरुआत को ध्यान में रखकर विचार दिया गया कि हम सबको शांति देने वाला होना चाहिए।
साल के आखिरी दिन 31 दिसंबर के लिए लिखा है- रोज बोलता हूं.. वह भी प्रार्थना ही है, उसी का हिस्सा है, मेरा यह सब भी भगवान के लिए है। मौके पर छात्र-छात्राओं की रंगोली, मेहंदी और फल सजाओं प्रतियोगिता हुई। कार्यक्रम के आयोजक डॉ. प्रवीण शर्मा ने बताया कि राजधानी में गांधी की पुस्तकों का सबसे बड़ा संग्रह महाविद्यालय में है। सबसे ज्यादा किताबें नागपुर विश्वविद्यालय से लाई गई हैं। अब इनके संरक्षण के लिए स्कैन करने का कार्य जल्द प्रारंभ किया जाएगा।
मौसम के मिजाज के अनुसार भी विचार
मत्मा गांधी ने सुविचार तो किताब में लिख दिए, लेकिन खास बात ये है कि उन्हें मौसम के मिजाज के अनुसार लिखा। ताकि पाठक सुविचारों का आनंद उठा सके। विचारों में तीज-त्योहारों के महत्व, स्थानीय त्योहारों को भी पिरोया गया है।
'अगर मैं डिक्टेटर होता' छात्रों को आई पसंद
प्रदर्शनी में गांधी की लिखी किताब 'अगर मैं डिक्टेटर होता' युवाओं को खूब पसंद आई। महात्मा गांधी ने किताब में लिखा है कि मैं अहिंसा को नहीं अपनाता तो सच में डिक्टेटर होता। देश के उत्थान के लिए मेरे कदम उठते ही नहीं, केवल अर्थ के पीछे मैं भागता दिखाई देता।